बेतरतीब 8
इलाहाबाद से दिल्ली
--१--
जिन्हें आपातकाल याद होगा उनको यह भी याद होगा कि डीआईआर के आरोपों सेर कई "राजनैतिक अपराधियों" को रिहा करके मीसा में वारंट जारी कर दिया गया था. लेकिन सरकार उन्हें डराकर निष्क्रिय करना चाहती थी गिरफ्त्यार नहीं क्योंकि एक राजनैतिक कैदी पर हर रोज सरकारी बजट साढ़े बाईस रुपया था जब हमारा मेस्बिल १०० से नीचे होता था.
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