Sunday, November 13, 2011

इश्क पूरी दुनिया से

इश्क पूरी दुनिया से
ईश मिश्र
इश्क पूरी दुनिया से होता है नायाब
उसमे ही होता है माशूक का भी सबाब
इसी लिए बदलो ख़ुद को
दुनिया बदलने के लिए
बनेगी अगर दुनिया एक बेहतर
पूंजीवादी मर्दवाद हो जाएगा बेअसर
सब होंगे अपनी सर्जना के मालिक,
मिलेगा सबको प्रतिभा का अवसर
सभी को होगा प्रेम का अधिकार बराबर
हवा में गूजेगें आजादी के तराने
किस्सागो बताएँगे मानव-मुक्ति के फ़साने

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