Monday, March 14, 2011

vikas

आज रगुवीर सहाय होते तो लिख्ते/100 करोड लोगों की ज़िंदगी 100 लोगोन के हथ मे/रानी का डंडा साथ मे युव्राज गया बारात मे/ 100 खाते रह्ते हैं मरते ही नहीं/ वे इस देश मे रह्ते ही नहीं/वे भी नही मरते जो कम खाते हैं/ तज्जुब तो यह, जो नहीं खाते वे भी नही मरते/ जो भूख से नही मरते, वे हैं गोली से मरेंगे/ इससे एक तो लोग कानून से डरेंगे/जनसंख्या के आँकड़े भी ठीक रहेंगे/सबसे बढ्कर इससे विकास के नये रास्ते खुलेंगे.

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