Wednesday, September 25, 2024

आतिशी

 मैंने अन्ना हजारे के प्रायोजित आंदोलन के समय एक आलोचनात्मक लेख लिखा था, माले समेत तमाम लोगों ने उसकी आलोचना की थी। जब आप बनी तो मैंने लिखा था कि यदि इसके राजनैतिक तत्व, आनंद कुमार, प्रशांत भूषण, बल्ली, कमल चेनॉय जैसे लोग प्रभावशाली हुए तो यह आप में एक जनतांत्रिक संसदीय पार्टी की संभावनाएं थीं वरना यह अन्ना. किरन बेदी, केजरीवाल टाइप लोगों के नेतृत्व में एनजीओ टाइप पार्टी बनकर रह जाएगी। केजरीवाल ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत आरक्षण विरोधी वाईएफई शगूफेबाजी से की थी। मोदी की राजनीति जयश्रीराम की है और केजरीवाल की जय हनुमान की। आतिशी से इतना गिरने की उम्मीद नहीं थी । उसे मैं बचपन में जानता था, उसके मां-बाप (डॉय त्रिप्ता वाही-विजय सिंह) सीपीएम विरोधी कम्युनिस्ट थे/ हैं। पहले तो वह मार्क्स-लेनिन से व्युत्पन्न सरनेम मारलेना को पिता के सरनेम सिंह से बदला और अब राम (केजरीवाल) की भरत बन गयी। चुनावी राजनीति के दांव-पेंच जो न करवाए। राम के भरत के रूप में अवतरण की यह घोषणा उसने उस जगह बैठकर की जिसके पीछे केंद्र में सत्यमेव जयते के राष्ट्रीय चिन्ह (अशोक के शेर) लगा है और दोनों तरफ क्रमशः अंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीरें। भगत सिंह नास्तिक थे और अंबेडकर बौद्ध।

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