Wednesday, September 11, 2024

बेतरतीब 185 (गौहाटी)

 गौहाटी विश्वविद्यालय में 'उत्तरपूर्व भारत के विशिष्ट संदर्भ में 2024 के संसदीय चुनाव के निहितार्थ' दो दिन के सम्मेलन में शिरकतक करने आज गौहाटी आया हूं। विश्वविद्यालय गेस्ट हाउस में रुका हूं, शाम की चाय पर जाने-माने चुनाव वैज्ञानिक तथा विद् वीन सीएसडीएस के डायरेक्टर, मित्र संजय कुमार से मुलाकात हुई। हमारी सजय से पहली मुलाकात 24-25साल पहले ग्वालियर विश्वविद्यालय में संविधान समीक्षा पर एक सेमिनार में हुई थी। उस समय अटल जी प्रधानमंत्री थे और संविधान समीक्षा का विचार तत्कालीन उपप्रधानमंत्री अडवाणी के दिमाग की उपज थी। अडवाणी जी जो नहीं कर पाए उसे अंजाम देने के लिए मोदी जी ने खुद को परमात्मा के पैगंबर बताकर 400 पार का शगूफा छोड़ा था। देश के सौभाग्य से जनता ने मोदी जी को डींग की हवा निकाल दी। उस सेमिनार में जेएनयू के समाजशास्त्र को प्रो. आनंद कुमार भी थे। श्रोताओं में झुंड बनाकर आए एबीवीपी के कुछ छात्र मेरी बातों से बहुत नाराज लगे थे। वे सेमिनार के बाद मुझसे अलग से बात करना चाहते थे। उग्र भाव से शुरू हुआ विमर्श विनम्र भाव से खत्म हुआ। इसका यह मतलब नहीं कि उनकी सांप्रदायिक सोच बदल गयी होगी, बचपन से पिलाई गयी नपरत की घुट्टी का असर एक घंटे की बातचीत से नहीं खत्म हो सकता, उसके लिए संवाद की निरंतरता की जरूरत होती है।

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