सत्ता का भय होता है, विचारों का आतंक
सत्ता का भय होता है, विचारों का आतंक
और विचार तो अजर-अमर होते हैंमरते नहीं, फैलते और इतिहास रचते हैं
इसीलिए विचारों से आतंकित सत्ता
विचारक कोआतंकवादी करार देती है
जिसके लिए नया सर्वनाम गढ़ती है
उसका अर्बन नक्सल नाम रखती है
और उसको मार देती है या कैद कर देती है
लेकिन जहर पीकर भी न तो सुकरात मरते हैं
न ही फांसी पर चढ़कर भगत सिंह
इतिहास साक्षी है कि विचारक मरता नहीं
हर युग के वर्तमान में जिंदा रहता है
और आतंकित करता रहता है हर वर्तमान की सत्ता को
(ईमि: 04.02.2023)
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