इतिहास की समीक्षा के आधार पर मार्क़्स का यह आकलन है कि पूंजीवाद के बाद का युग समाजवाद का युग होगा। सामंती युग के खंडहरों से पूंजी के नायक के रूप में नया नायक पैदा हुआ, अनुमान है कि पूंजीवाद के खंडहरों से अगला नया सर्वहारा होगा। हर नए युग के बीज पिछले युग में अंकुरित होना शुरू हो जाते हैं। बीसवीं सदी की क्रांतियां उसी बीज के कुछ प्रफुटन थीं, अगली क्रांतियों की जगह प्रतिक्रांतियां हो गयीं, हमारे जीवन में न सही, उम्मीद है हमारी नतिनियों के जीवन में अगली क्रांतियां होंगी।
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