सोवियत संघ के धराशायी होने के पीछे मुख्य आंतरिक कारण आर्थिक प्रगति और "राष्ट्रीय" (सामाजिक साम्राज्यवादी) वर्चस्व की लड़ाई की वेदी पर समाजवादी चेतना के निर्माण प्रक्रिया की बलि एवं समाजवादी स्वतंत्रता की भावना का दमन था। उम्मीद थी कि अगली क्रांति में क्रांति के बाद के सामाजिक निर्माण की विकृतियों को दूर कर सही मायने में (पेरिस कम्यून की तर्ज पर) समाजवादी समाज (सर्वहारा की तानाशाही) की स्थापना होगी, लेकिन अगली क्रांति की जगह प्रतिक्रांति हो गयी। उम्मीद है कि अगली क्रांति, जब भी होगी, भूमंडलीय सर्वहारा क्रांति होगी।
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