दुर्भाग्य होता है पैदा होना किसी ढोंगी-रोगी समाज में
मुल्क बिकता हो जहां आद्ध्यात्मिकता की सड़ांध में
शर्म तो आती ही है पैदा होने पर एक ऐसे गलीच समाज में
गर्व महसूस करते हों लोग जहां सड़क छाप लंपटों राज में
लगता है इस समाज का स्थायी भाव है असाध्य मनोरोग
रोटी के सवाल को दरकिनार करता जहां भोगियों का योग
बुतपरस्त-मुर्दापरस्तों की नुमाइंदगी का है यह समाज
नफरत के सौदागर आसानी से कर सकते इस पर राज
(पूरा करना है)
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