शुभकामनाएं। सामाज के भौतिक विकास के हर चरण के अनुरूप सामाजिक चेतना का स्तर और स्वरूप होता है जो व्यक्तिगत चेतना का निर्धारण करता है। इन सामाजिक मूल्यों को हम वांछनीय अंतिम सत्य और स्वाभाविक मानकर आत्मसात कर लेते हैं। इन विरासती मूल्यों को हम संस्कार कहते हैं, जिन्हें हम बिना किसी चैतन्य इच्छा के जस-का तस ग्रहण कर लेते है (the values which we acquire without any conscious will)। सामाजिक चेतना के रूप में अनायास (बिना प्रयास) ग्रहण किए गए मूल्यों से मिथ्या चेतना का निर्माण होता है, जिन पर हम सवाल नहीं करते और आजीवन उसका शिकार बने रहते हैं।
Friday, March 25, 2022
शिक्षा और ज्ञान 351 (बेतरतीब -- शाखा)
Wednesday, March 23, 2022
मार्क्सवाद 261 (सामाजिक चेतना)
मार्क्स ने 'राजनैतिक अर्थशास्त्र की समीक्षा में एक योगदान' की भूमिका में लिखा है कि सामाजिक उत्पादन के विकास के हर चरण के अनुरूप सामाजिक चेतना का स्तर व स्वरूप होता है। सामाजिक चेतना के स्वरूप के लिहाज से भगत सिंह समय से आगे थे और गांधी समय के साथ। पिछले 30-35 वर्षों में सामाजिक चेतना अधोगामी गति से चल रही है। हमारा काम शासकवर्ग के विचारों की आभा से प्रभावित सामाजिक चेतना का जनवादीकरण है, जिसके लिए जाति (जातिवाद) और धर्म (सांप्रदायिकता) की मिथ्या चेतनाओं से मोहभंग (मुक्ति) आवश्यक शर्त है।
मार्क्सवाद 260 (सोवियत संघ का पतन)
सोवियत संघ के धराशायी होने के पीछे मुख्य आंतरिक कारण आर्थिक प्रगति और "राष्ट्रीय" (सामाजिक साम्राज्यवादी) वर्चस्व की लड़ाई की वेदी पर समाजवादी चेतना के निर्माण प्रक्रिया की बलि एवं समाजवादी स्वतंत्रता की भावना का दमन था। उम्मीद थी कि अगली क्रांति में क्रांति के बाद के सामाजिक निर्माण की विकृतियों को दूर कर सही मायने में (पेरिस कम्यून की तर्ज पर) समाजवादी समाज (सर्वहारा की तानाशाही) की स्थापना होगी, लेकिन अगली क्रांति की जगह प्रतिक्रांति हो गयी। उम्मीद है कि अगली क्रांति, जब भी होगी, भूमंडलीय सर्वहारा क्रांति होगी।
Tuesday, March 15, 2022
मार्क्सवाद 259 (लेखक संघ)
सांप्रदायिकता, फासीवाद, सीएए, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, शिक्षा की गुणवत्ता आदि सामाजिक मुद्दे लेखक और लेखक संगठनों के जीवंत सरोकार हैं और रहने चाहिए वरना लेखन के लिए लेखन कला के लिए कला की तरह होगा, जिसे चेखव ने सामाजिक अपराध कहा है। प्रेमचंद के अध्यक्षीय भाषण और प्रलेस की संस्थापना दस्तावेजों में चिन्हित सार्थक सांस्कृतिक हस्तक्षेप के मंच के रूप में लेखक संघ की भूमिका प्रमुख है। मैंने केवल यही कहा है कि लेखक भी मजदूर होता है तथा उसके अधिकारों के लिए संघर्ष भी लेखक संगठनों की भूमिका का एक आयाम होना चाहिए। लेखन की ही तरह लेखक संगठनों की भूमिका भी बहुआयामी होनी चाहिए। डूटा जैसे शिक्षक संगठनों की भूमिका भी दुर्भाग्य से घटकर शिक्षकों के अधिकारों के लिए संघर्ष के एकायामी मंच की हो गयी है, वांछनीय रूप से इनकी भूमिका भी बहुआयामी होनी चाहिए तथा शिक्षा की गुणवत्ता और सामाजिक चेतना के स्वरूप और स्तर की प्रक्रिया में हस्तक्षेप भी इसकी प्रमुख भूमिकाओं में होना चाहिए।
Tuesday, March 8, 2022
शिक्षा और ज्ञान 350 (होमोसेपियंस)
हर परिघटना को उसके ऐतिहासिक संदर्भ में ही समझा जा सकता है, अपने जन्म के संयोग की खास ऐतिहासिक परिस्थिति में मैं पहले ईश मिश्र हूं। संयोग से यदि यूरोप या अमेरिका में पैदा होता तो शायद डैविड थॉमस सा कुछ होता और अरब में इलियास हसन सा। बड़े होने के कर्मकांडों के साथ पता चला कि हमारी ईश मिश्र से ऊपर की पहचान बट्टूपुर (बस्ती जिले का एक गांव) के मार्जनी (गोरखपुर जिले में कोई जगह) मिश्र की है तथा जन्मस्थान की भौगोलिक स्थिति के चलते पता चला कि हमारी भौगोलिक पहचान भारत देश के उप्र प्रांत के आजमढ़ जिले की है। बढ़ने-पढ़ने के दौरान पता चला कि भारत नामक भौगोलिक क्षेत्र में कई अलग अलग भाषाओं, संस्कृतियों के लोग रहते हैं तथा भारत की ही तरह पृथ्वी के अन्य भागों में भी हमारी ही तरह के बहुत से जीव रहते हैं और हम सबकी एक सामूहिक कोटि है जिसे मनुष्य कहते हैं, उसी तरह जैसे आम, अमरूद, केला जैसी वस्तुओं की सामूहिक कोटि फल है। सभ्यता के विकास के इतिहास के अध्ययन से चला कि बंदर, लंगूर, वनमानुष जैसे अविकसित जीव भी मनुष्य की ही प्रजाति के हैं। तो आपके जटिल सवाल, 'मैं पहले ईश मिश्र हूं कि पहले होमो सेपियंस?' का सीधा जवाब दिया दिया जा सकता। व्यक्तिगत बौद्धिक विकास की ऐतिहासिक दृष्टि से मैं पहले ईश मिश्र हूं, फिर होमो सेपियंस। मनुष्य सभ्यता के विकास की दृष्टि से पहले होमो सेपियंस हूं, फिर ईश मिश्र। अवध क्षेत्र का निवासी अवधी है और अवध के भारत में होने के चलते भारतीय। यह सवाल बेमतलब है कि वह पहले अवधी है कि पहले भारतीय? वह दोनों एक साथ है। कश्मीर भारत में है इसलिए कश्मीरी भारतीय है, उसी तरह जैसे पाक अधिकृत कश्मीर का कश्मीरी भारतीय। विभाजन रेखा के पश्चिम का पंजाबी पाकिस्तानी है और पूरब का भारतीय, उसी तरह जैसे पश्चिमी बंगाल का बंगाली भारतीय है और पूर्वी बंगाल का बांग्लादेशी।