झूठ वाले कहाँ से कहाँ से कहाँ
बढ़ने में गिरते चले गए
अनंत पाने के भ्रम में खुद को खोते चले गए
हम अज्म जुनूं पर क़ायम रहे सच कहते हुए आगे बढ़ते रहे
खोने को कुछ भी नहीं है पाने को सारा जहां है
लुटाया सिर्फ खुदी का एकाकीपन,
यार पाया बदले में हर मेहनतकश का प्यार.
अनंत पाने के भ्रम में खुद को खोते चले गए
हम अज्म जुनूं पर क़ायम रहे सच कहते हुए आगे बढ़ते रहे
खोने को कुछ भी नहीं है पाने को सारा जहां है
लुटाया सिर्फ खुदी का एकाकीपन,
यार पाया बदले में हर मेहनतकश का प्यार.
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