Sunday, July 24, 2016

क्षणिकाएं 58 (791-800)

791
देख मंदिरों की संपत्ति अपरंपार
भक्तों की भुखमरी का आया विचार
मिल जाये भक्तों को यदि यह उन्हीं की संपत्ति
पीढ़ियों तक टल जायेगी भुखमरी की विपत्ति
हो भक्तों से मुखातिब किया पंडित जी से सवाल
कहां से आया है यह अरबों-खरबों का माल
पंडितजी ने देखा मुझे अकबकाकर
पूछा मैंने जब सवाल हाथ उठाकर
पंडित जी ने पुराना पत्रा खोला
आंखो से भक्तों का मन टटोला
मेरे सवाली हाथ पर किया इशारा
लिया भक्तों की धर्मभीरुता का सहारा
मेरे उठे हाथ को बताया भगवान पर हमला
टालने को मंदिर की अकूत संपत्ति का मामला
भक्तों की तन गई मेरे हाथों पर भृकुटियां
भिंच गयीं मेरे उठे हाथ पर उनकी मुट्ठियां
बोले पंडित जी सत्यनारायण की कथा की तर्ज़ पर
लंबा भाषण दिया ईश्वर कि संपत्ति की सुरक्षा के फर्ज़ पर
कहा करना ईश्वर की संपत्ति पर सवाल
है राष्ट्रवाद के विरुद्ध एक संजीदा बवाल
भक्तों की भिंची मुट्ठियां आक्रामक हो उठीं
मेरे भी अंदर विद्रोह की ज्वाला भभक उठी
पंडित जी को मैंने विमर्श के लिए ललकारा
पूछा मिलेगी कैसे भक्तों को भूख से छुटकारा
दिया नहीं पंडितजी ने मेरे सवाल का जवाब
कहा कि आस्था का नहीं होता तर्क से हिसाब
देख दुनिया में भक्ति भाव का ऐसा माजरा
लेता यह शायर अब फंतासियों का सहारा
मैं भी हुआ भूखे-नंगे भक्तों से मुखातिब
कहा उनसे भूख का सवाल है बहुत वाज़िब
पड़ गये भक्त भूख और भक्ति के भ्रम में
रोटी का सवाल आया कसके उनके मन में
मालुम हुई जब उनको यह गुप्त बात
कि ईश्वर की संपत्ति है सबकी सौगात
भिंची मुट्ठियां भक्तों की पड़ने लगीं ढीली
भूख से उनकी आंखे होने लगीं जब गीली
पेट पर गया हाथ मुट्ठियां फिर से भिंचने लगीं
गदगद हुआ मन कि आक्रोश की दिशा बदलने लगी
मंदिर की संपत्ति को जब भक्तों का प्रसाद बताया
भक्तों ने ईश्वर की अकूत संपत्ति पर बोल दिया धावा
(बुढ़ापे में बौद्धिक आवारगी असाध्य रोग है, बाद की पंक्तियां आवारागर्दी के सुरूर में, यथार्थ से परे कलम की विशफुल थिंकिंग है)
(ईमिः05.04.2016)
792
अक़्ल के दुश्मनों की मुल्क में कमी नहीं गालिब
एक खोजो हजार मिलते हैं (गालिब से मॉफी के साथ)
सुबह सुबह पहनकर हिटलरी निक्कर
लेकर लट्ठ हाथों में फासिस्ट परेड करते हैं
नहीं दुवा-सलाम एक-दूजे से
एक झंडे को मान गुरु उसे ध्वज प्रणाम करते हैं
लगाकर देशभक्ति का नारा
विश्वबैंक का हुक़्म तामील करते हैं
चिल्लाकर बंदे मातरम्
धरती मुल्क की नीलाम करते हैं
बोलकर भारत मां की जय
विधर्मियों की मां-बहन का बलात्कार करते हैं
कहकर श्रमेव जयते
मदजूरों पर अत्याचार करते हैं
कहते हैं खुद को अंबेडकर का भक्त
ब्राह्मणवाद का गुणगान करते हैं
चलाते हैं बेटी पढ़ाओ अभियान
पढ़ने-लड़ने वाली लड़कियों को वेश्या कह बदनाम करते हैं
खाते हैं दलितोद्धार की कसमें
रोहित वेमुलाओं का कत्ले-आम करते हैं
कहां तक गिनाऊं दोगलापन इनका
जो कहते हैं उससे उल्टा काम करते हैं
कर देंगे मगर इनका काम तमाम मुल्क के नवजवांन
जो हर रोज अब जय भीम को लाल सलाम करते हैं.
(ईमिः07.04.2016)
793
बोलकर देमातरम्, भारत माता की जय
करते वे राष्ट्रवादी भ्रष्टाचार
और देशद्रोह की सनदों का व्यापार
मिटा सकें धरती से जिससे वे कम्युनिस्टी दुराचार
देशभक्ति की ताकत है कॉरपोरेटी उपहार
किसानों की खुदकुशी पर क्यों इतना हाहाकार
पूरी दुनियी में फैल रहा है सेठ अंबानी का देशभक्त व्यापार
इतना हो-हल्ला क्यों है जो संकट लाटूर में पीने का पानी का
हजारों गैलन रोज पीता है बागीचा देशभक्त अडानी का
क्या हुआ मरते हैं भूख से कुछ भूखे-नंगे रोज
करनी न होगी परिवारनियोजन के तरीकों की खोज
क्यों मचा है इतना किसानों की बेदखली का रोना-धोना
कैसे खना जाएगा वरना धरती में छिपा राष्ट्रवादी सोना
संभालेगा नहीं कॉरपोरेट अगर राष्ट्र का कारोबार
कैसे चलेगा राष्ट्र में देशभक्ति का व्यापार
मिटाना है गर राष्ट्र से कम्युनिस्टी देशद्रोह
त्यागना पड़ेगा राष्ट्र को ईमानदारी का मोह
होगा नहीं अगर राष्ट्रवाद के पास अकूत धन
राष्टवादी उत्पात का न होगा भक्तों का मन
विश्वबैंक की न करेंगे अगर भक्ति
कैसे बनेंगा राष्ट्र दुनिया सबसेै बड़ी शक्ति
करेंगे नहीं अगर शिक्षा का समर्पण गैट्स को
कैसे बना पाएंगेै विश्वगुरू इस महान देश को
खिलाने को राष्ट्रवादी कमल इस देश
उगता है जो सदा से कीचड़मय परिवेश में
बनाना है गर देश बहुत ही महान
करना ही पड़ता है ईमान कुर्बान
करते हैं देशद्रोही उनकी कुर्बानी का अपमान
राष्ट्रवादी कमीशन को देते हैं भ्रष्टाचार का नाम
राष्ट्रवाद अग्रसर है बनाने को देश महान
देशद्रोही चिल्ला रहे हैं रोटी कपड़ा और मकान
जब तक रहेंगे मुल्क में कम्युनिस्ट-ओ-मुसलमान
इन राष्ट्रवादी कामों के लिए चाहिए पैसा
और कौन है आज दानी कॉरपोरेट जैसा
अगले 20 साल रहा अगर राष्ट्रवादी शासन
मिल ही जाएगा भारत को विश्वगुरू का आसन
बन जाएगा जब भारत राष्ट्र महान
सबको मिलेगा तब रोटी कपड़ा और मकान
करते हुए राष्ट्र के महान बनने का इंतजार
बोलो बंदेमातरम् भारत माता की जय बार बार   
(बस यों ही कलम की अनचाही आवारागर्दी, सुबह फेसबुक नहीं खोलना चाहिए)
(ईमिः21.04.2016)
794
सुनो विश्वविद्यालयों के नगपुरिया कुलपतियों
जहालत के ब्राह्मणवादी ठेकेदारों
डराना क्यों चाहते हो
दिखा कर लट्ठ तथा पुलिस का खौफ
कहते हो संविधान नहीं चलता बीयचयू में
जब कहते हम विरोध के अधिकार की बात
हमारी मर्यादित मांगों को कहते हो उत्पात
तोप तान देते हो क्यों
जब भी लड़ता है छात्र  पढ़ने के लिए
क्यों चाहते हो हमें डर कर जीना सिखाना
क्यों चाहते छीनना पढ़ने पढ़ने का हक
क्यों चाहते हो तोड़ना मेरा कलम
तो सुना नगपुरिया बाबा के चेले
क्या नाम है तुम्हारा
त्रिवेदी, द्विवेदी जो भी हो
 मत खेलो इन युवा उमंगों के सैलाब से
हैदराबाद से उठी चिंगारी
दावानल बन गयी है जेयनयू पहुंच कर
आजादी चौक बन गया है उसकी सत्ता का गढ़
आश्रय खोज रहा है बचने का
आजादी के नारों की आंधी  से
उसका भी क्या नाम है
तुम्हारे शाखा सखा जेयनयू के वीसी का
अगदेश जगदेश जो भी हो
कितना भी दिलाशा दो अपने दिल को
ये जो सड़कों पर रात में पढ़ रहे हैं लड़के-लड़कियां
मांगते हुए पढ़ने का अधिकार
लड़ सकें जिससे ज़ुल्म के खिलाफ
लाठी-गोली निष्कासन की तलवारों के दमकल से
नहीं बचा सकोगे बीयचयू जेयनयू से शुरू दावानल से
क्योंकि जेयनयू एक विचार है
विचार गतिमान है
मरता नहीं इतिहास रचता आगे बढ़ता है
नहीं बचा पाओगे तुम बीयचयू जेयनयू बनने से
डराना बंद कर अब डरना शुरू करो
क्या नाम है तुम्हारा जो भी हो
अप्पा राव, जगदेश चंदर या त्रिपाठी
क्योंकि छात्रों ने डरना बंद कर दिया है
सलाम करता हूं बीयचयू के युवा साथियों को
जयभीम-लाल सलाम
(ईमिः 10.05.2016)
795
"क्या अधेयुग में गीत गाये जायेंगे?
हां अंधेयुग में अंधेयुग के गीत गाये जायेंगे"
खुद के सवाल का जवाब दिया था बर्टोल्ट ब्रेख्ट ने
जर्मनी पर छाया था जब नाज़ी घटाटोप
आत्मसात कर ब्रेख्ट का संदेश
गा रहे हैं छात्र-नवजवान इस अंधेयुग के गीत लगातार
फैल रहा है भारत में जब ब्राह्मणवादी फासीवाद का अंधकार
जयभीम लालसलाम के नारे कर देंगे ख़ाक सारी हिटलरी हुंकार
चीर अंधेरा धर्मोंमाद आयेगा नया बिहान
इंकिलाब के नारों से गूंज उठेगा हिंदुस्तान
जय भीम लाल सलाम
(ईमि: 22.05.2016)
796
कहने-करने की आज़ादी ले रही हैं मेरी बेटियां
मांग कर नहीं छीनकर
हक़ मानने से नहीं लड़ने से हासिल होता है
हक़ के लिए लड़ रही हैं ये बेटियां
कंगन-पाजेबों की बेड़ियां तोड़ रही हैं ये बेटियां
आंचल को परचम बना रही हैं बेटियां
उठा रही हैं प्रज्ञा का शस्त्र ये बेटियां
कर रही हैं मर्दवाद को ध्वस्त ये बेटियां.......

बाद में पूरा करूंगा
मर्दवाद को सांस्कृतिक संत्रास दे रही हैं मेरी बेटियां
797
बीयचयू कि छात्रों के नाम
सुनो निक्करधारी, ज्ञानद्रोही गर्दभ-चारण त्रिपाठी
अब नहीं चलेगी बीयचयू में ब्राह्मणवाद की परिपाटी
चलाओ विद्रोही युवा उमंगों पर कितनी ही गोली-लाठी
पैदा ही करती रहेगी कबीर-ओ-बुद्ध काशी की माटी
मांगने निकला है वंचित तपका पढ़ने का अधिकार
समझ सके जिससे वह ज्ञान के फरेब का सनातन सार
होगे नहीं जब तक शेरों के अपने इतिहास कार
करता रहेगा इतिहास शिकारी की जय-जयकार
निकल पड़े हैं शेर बनने खुद का इतिहासकार
मच गया शिकारियों के खेमे में भयंकर हाहाकार
उमड़ा है बनारस में जो युवा-उमंगों का जनसैलाब
कर देगा बजरंगी लंपटों का राष्ट्रवादी ढोंग बेनकाब
पुणे से उठी चिंगारी ब्राह्मणवाद के खिलाफ
आग बन गयी पहुंचते-पहुंचते हैदराबाद
दावानल बन गई पहुंची जेयनयू जब
बन गया जेयनयू विश्वविद्यालय से विचार तब
कहा था तुमने बीयचयू को जेयनयू न बनने दोगे
मगर विचार को तुम कैसे बंदूक से रोक लोगे?
पहुंच चुका है बीयचयू जेयनयू का विचार
लेके रहेंगे छात्र पढ़ने का अनंत अधिकार
पैदा हों जिससे तथ्यपरक तार्किक विचार
करोगे प्रतिरोध पर जितने भयानक वार
उतनी ही भीषणता से फैलेंगे विप्लवी विचार
खंड-खंड हो जायेगा ब्राह्मणवादी अहंकार
(बस यूं ही)
आंदोलनकारी छात्रों को जय भीम, लाल सलाम
(ईमि: 27.05.2016)
798
जब भी उठता कलम लिकने को हर्फ़-ए-सदाकत
हो जाती मुल्क के सारे ज़रदारों से अदावत
चारणों के इस मुखर श्मसान में
एक ही रास्ता है कलम के पास
कि लिखता रहे वो नारा-ए-बगावत
(ईमि:07.07.2016)
799
तुर्की में तख्तापलट

नाकाम कर दी गयी सैनिक तख्तापलट की साज़िश
लेकिन राष्ट्र की सुरक्षा पर खतरा बरकरार है
रोकने पड़ेंगे देशद्रोही विचार
कसनी पड़ेगी लगाम पहले से ही नतमस्तक मीडिया पर
ठीक करना पड़ेगा दिमाग गैर जिम्मेदार दानिशमंदों का
जो खाते हैं देश की करते हैं थाली में छेद
अलापते हुए विश्वबंधुत्व का राग
करते हैं घोषित राष्ट्र की सुरक्षा को जनतंत्र के लिए खतरा
खो चुके हों जो हक़ जीने का बुजुर्ग कबाड गांधी की तरह
खतरा बन जायें जब विचार राष्ट्र की सुरक्षा के लिए
मरना ही पड़ेगा उन्हें राष्ट्र की सुरक्षा के लिए
अब और भी कसेगा शिकंजा अधिनायकवाद का
लाजमी ही नहीं वांछनीय है विद्रोही विचारों के प्रसार पर रोक
लगाना ही पड़ेगी सेंसरशिप राष्ट्र की सुरक्षा के लिए
को्र्ट-कचहरी पुलिस को खरीदना ही पड़ेगा राष्ट्र की सुरक्षा के लिए
लेकिन ये इस कमबख़्त सोसल मीडिया का क्या करें?
इकट्टा हो रहे हैं लोग दुनिया भर में अपने अपने राष्ट्रों की सुरक्षा के खिलाफ
(बहुत दिनों बाद कलम का आवारीगर्दी का मन हुआ)
(ईमि: 17.07.2016)
800
अफवाह फैला दो
 अफवाह फैला दो कि अच्छे दिन आ गये हैं देश में
उसी तरह जैसे
उन्नीस सौ चौरासी में फैलाया था
पंजाब से दिल्ली आने वाली गाड़ियों में
आई हिंदुओं की क्षत-विक्षत लोशों की
या बंगला साहब में एके 47 से लैस आतंकवादियों की मौजूदगी की
उसी तरह जैसे फैलाया था दो दजार दो में
गुजरात के कल्लोल में कटे स्तनों वाली हिंदू महिलाओं की लाशों की
नीचे सूक्ष्म अक्षरों में लिख दो एक पुनश्च
खबर लिखने तक घटना की पुष्टि नहीं हो पाई है
उसी तरह जैसे किया था कई गुजराती अखबारों ने दो हजार दो में
(बहुत दिनों से कलम ने आवारागर्दी छोड़ दी थी, लेकिन पुरानी आदतें यूं ही नहीं छूटती, और अतीत भी कोई गर्द नहीं कि उड़ा दिया जाए एक उड़ती कविता में.)
(ईमि: 24.07.2016)

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