Thursday, August 21, 2025

शिक्षा और ज्ञान 381(देश का विभाजन)

 एक पोस्ट पर कमेंटः


RSS और कांग्रेस को एक पलड़े पर रखना इतिहास समझने की कमनिगाही है। मेरा अपबना मानमना है कि औपनिवेशिक शह पर हिंदू-मुस्जालिम सांप्रीरदायिक सदलालवों के नेतृत्व में जारी सांप्रदायिक रक्तपात थोड़ा और लभीषण भले हो गया होता तथा औपनिवेशिक शासन की विदाई में थोड़ी और देर भले हो जाती कांग्रेस को बंटवारे की औपनिवोशिक परियोजना को नकारते रहना चाहिए था। मैं लगातार लिख रहा हूं कि 1857 के सशस्त्र स्वतंत्रता संग्राम से विचलित औपनिवेशिक शासक उपनिवेशविरोधी आंदोलन की विचारधारा के रूप में उभर रहे भारतीय राष्ट्रवाद और भारतीय आवाम की एकता को तोड़ने के लिए बांटो-राज करो नीति करे लिए धुरी और देशी दलालों की तलाश में थे। धर्म उन्हें विभाजन की धुरी मिलस गयी और दोनों धार्मिक समुदायों से धर्म के नाम पर औपनिवेशिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए दलाल मिल गए जो बाद में मुस्लिम लीग-जमाते इस्लामी और हिंदू महासभा-आ्ररएसएस के रूप में संगठित हुए। कांग्रेस प्रतिरोधक शक्ति थी जो प्रतिरोध को तार्किक परिणति तक ले जाने में असफल रही। औपनिवेशिक शासक आवाम और देश बांटने की अपनी परियोजना में सफल हुए और बंटवारा आने वाली नपीढ़ियों के लिए नासूर बन रिसता जा रहा है, न जाने कब तक रिसता रहेगा। भारत यानि अविभाजित भारत के किसी भी हिस्से में सांप्रदायिक ताकतों का सत्ता पर काबिज होना असंभव था। देश के उस हिस्से में पहले ही इस्लामी पाकिस्तान बन गया इस हिस्से में हिंदू पाकिस्तान अब बन रहा है।


1. पहली बात आपकी बात कोई विचार नहीं जिसे खारिज किया जाए या जिसकी अनुशंसा की जाय यह बातआको व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी से रटाया गया और आपकी तरह असंख्य लोगों के दिमाग में भरा दुराग्रह है। इसके चलते संदर्भ विषय जो भी हो सांप्रदायिक विचारधारा से विषाक्त दिमाग वाले लोग रटाए हुए ऐसे ही सवाल पूछेंगे जिससे हिंदू मुस्लिम नरेटिव से समाज का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण किया जा सके। आपके सवाल के जवाब में आपसे एक सवाल पूछूंगा, लव जिहाद क्या होता है ? किसी हिंदू लड़की को प्यार के जाल में फंसाकर उसका ब्रेन वाश करना? यह एक सड़ांध फेंकती मर्दवादी सोच है। क्या लड़कियां इतनी मूर्ख या कमजोर दिमाग की होती हैं कि कोई ऐरा-गैरा उनका ब्रेनवाश कर सकता है? आपने कितनी लड़कियां पटाकर उनका ब्रेनवाश किया? लड़कियों के पास भी दिमाग होता है। अभी मॉर्निंग वाक पर जा रहा हूं, आपकी बाकी इतनी ही मूर्खतापूर्ण बातों का जवाब बाद में।

2. दूसरी बात शासक शासक होता है, मेरा या आपका नहीं, वह शासक वर्ग का नुमाइंदा होता है जैसे आज का शासक धनपशु (पूंजीपति) वर्ग का नुमाइंदा है, चाहे वह ट्रंफ हो, मोदी या पुतिन.....। यह देश किस हिंदू का है? रिक्शा चासक राम खेलावन का या मोदी को अपनी जहाज में घुमाने वाले कृपापात्र धनपशु, गौतम अडानी का? मैंने यही बताने की कोशिश की है कि यह और वह देश की बात अंगह्रेजों की ुपरियोजना थी जिसमें उसके देशी दलालों ने सहयोग दिया। मंटो ने एक कहानी में लिखा है कि कुछ लोग कहल रहे हैं एक लाख हिंदुओं को कत्ल कर हिंदू धर्म का जनाजा निकास दिया गया और कुछ लोग कह रहे हैं एक लाख मुसलमानों को मौत के घाट उतारकर वइस्लाम का सत्यानाश कर दिया गया। हिंदू धर्म और इस्लाम का तो कुछ नहीं हुआ, यह कोई नहीं कह रहा है कि दो लाख इंसान मार दिए गए। तो मित्र इंसान बनिए।

Monday, August 11, 2025

लल्ला पुराण 335 (नास्तिकता)

 एक पोस्ट पर कमेंट


विपरीत परिस्थितियों में नास्तिक-आस्तिक सब परेशान होते हैं, आस्तिक भगवान के नाम की बैशाखी में राहत के भ्रम में रहता है नास्तिक जानता है कि राहत के भ्रम से वास्तविक राहत नहीं मिलती, वह जानता है कि अगवान-भगवान जब होता ही नहीं तो राहत कहां से देगा? वह भगवान की बैशाखी का सहारा लेने की बजाय अपने पैरों को ही मजबूत करने की कोशिश करता है।

उक्त पोस्ट पर मैंने एक कमेंट में लिखा कि नास्तिकता के लिए साहस की जरूरत होती है तो एक सज्जन ने कहा कि संगम में डूबने की स्थिति में साहस गायब हो जाता है। उस परः
नास्तिक का साहस कभी लुप्त नहीं होता, वह जानता है संगम पर नाव क्यों डूब रही है, वह उससे निपटने का विवेकसम्मत प्रयास करता है, आस्तिक भगवान भगवान चिल्लाकर डूबता है।कई लोग कहते हैं कि जवानी का जोश बुढ़ापे में खत्म हो जाता है तब भगवान का भरोसा होता है, मैं तो 70 पार कर गया अभी भगवान की बैशाखी की जरूरत नहीं महसूस हुई। इसका सही जवाब भगत सिंह ने शहादत के पहले लिखे अपने कालजयी लेख, 'मैं नास्तिक क्यों हूं' में दिया है। खोजकर लिंक पस्ट करता हूं। आत्मबल जुटाइए भगवान की बैशाखी की जरूरत नहीं महसूस होगी।

Thursday, August 7, 2025

बेतरतीब 175 (जेएनयू)

 Vishnu Nagar जी के जोरदार व्यंग्य, 'चाकू' पर कमेंटः


1983 में हमलगों ने जेएनयू में एक नाटक तैयार किया था, 'आतंकवादी' , इसमें पकड़े गए 'आतंकवादी' के पास एक माचिस बरामद हुई थी, लेकिन उसके थैले में सिगरेट-बीड़ी कुछ नहीं मिला तो सारी पूछताछ माचिस पर ही केंद्रित थी, पूछताछ अधिकारी ने साबित कर दिया कि माचिस से वह संसद भवन जलाने जा रहा था और उसे जेल में डाल दिया गया।