अच्छा हुआ कि तुम शहीद हो गए अग्निवीर
लगेगी तुम्हारी गली में तुम्हारी मूर्तिऔर हो सकता है गली का नाम पड़ जाए अग्निपथ
मगर कोई नहीं लेगा उस पर चलने की सपथ
क्योंकि वह भी धंस जाएगा जल्दी
रामलला की अयोध्या के रामपथ की तरह
सोचो यदि बच जाते तो न माया मिली न राम
को दलदल में फंस जाते
न शहीद हो पाते और न बच पाते बेरोजगारी से
और पेट का सवाल नैतिकता से पहले आता है
इस लिए मना नहीं कर सकते थे कोई काम
सैन्यप्रशिक्षण की सनद से हो जाता रोजी का इंतजाम
बनते किसी बाहुबली जनसेवक के सशस्त्र सेवादार
इंतज़ार करिए हर तरह की सेवा में इसी तरह के वीर दिखेंगे भविष्य में |
ReplyDeleteजी
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