मैं किसान हूँ, आसमान मैं धान बो रहा हूँ कुछ लोग कह रहे हैं, पगले, आसमान मैं धान नहीं उगा करता, , मैं कहता हूँ पगले, अगर जमीन पर भगवान जम सकता है तो आसमान मैं धान भी जम सकता है, अब दोनों मैं से कोई एक होकर रहेगा, या तो जमीन से भगवान उखड़ेगा, या आसमान मैं धान जमेगा, रमाशंकर यादव विद्रोही,
Sudhir Raghav मान्यतावादियों के भ्रम आसानी से नहीं टूटते। शायद यह किसान ही तोड़ सकता है। सुनीता जी आपने सही वक्त पर विद्रोही जी की सही बात उठाई है।
Akbar Rizvi विशाल जी अन्यथा ना लें तो एक बात पूछना चाहता हूं भगवान का वास्तविक अर्थ क्या है। जब ज़मीन और यथार्थ से जुड़ी चीज़ को आसमानी बना देते हैं तो वो बेकार हो जाती है.., भगवान के साथ भी आप जैसे भक्तों ने ऐसा ही किया है।
i निर्मल पानेरी ..सुनीता जी आप ने सही वक़्त पर सही बात बोली है ....पृकृति के साथ हम खिलवाड़ तो कर ही रहे है हम इन्सान और जातियों के साथ भी खिलवाड़ करने से नहीं चुके है हर समाज और इनके बीच खाई बढ़ती जा रही है....किसान तो खुद ही मरने पर उतारू है ...वो क्या तो आसमान और क्या जमीन देखे ....उसको तो हम बेचोलिओं ने कहीं का नही रखा है ...फिर नकली का खेल भी शरू है .....हमने इस जमी को ही जमी दोज़ कर देय है ...अब भगवान भी इस पर आने से कतरा रहा है ...फिर भी सुन्दर विचार आप के इस मोके पैर आप ने विद्रोही जी के बात को रखा है सब के बीच !!!!!!!!!
Vishal Upreti @akbar razvi if some1 says somthng to ur muslim god, u people ran out for kilin, if u dont know much den beter to kp mum
Jaideep Saklani Sunita sab kuch sar ke uper se nikal gaya.Kuch hamre standared ka bhi likh liya karo
Ish Mishra: bat to sidh sidhi hai agar baikunth ke log dharti par rah sakte hain to dharti ke kisonon ko baikunth men kheti karne do. kisanon ke khet tata, posco, vedanta, tedanta,...... jaise bhagwanon ke supurd idambambaram-chidambaram jaise pujari karte rhaenge to kisan bhi bhagwano ke asmanon par kabja karega.
aideep Saklani kheti ki jameen property dealeron ke hawale kheti to ab aasmaan mein hi hogi
Swamiji Chidambaranand ये ज़मीन है यहाँ सब जमता है भगवान भी पर आसमान में कुछ नहीं जमता ,आसमान में लटकने के अलाव कुछ नहीं मिलता.
Sarwang Joshi "ya to zameen se bhagwaan ukhdega ya aasmaan pe dhaan jamega."
@sunita- (1)-in these given conditions,which one do u think is more practical to happen in our country at present?
(2)-u mostly stuck others views or ideas(rather i should say ne...wspaper cuttings) on ur wall. Why dont u start a conversation wid ur own openion? It'll certainly gv an innovative look to ur wall & we'll get to knw the power of ur valuable brain too.
.Swamiji Chidambaranand कुछ लोगों की मानसिकता बड़ी विचित्र होती है वे धान को छोड़कर भगवान के पीछे पड़ जाते हैं अरे भाई जिन्हें धान की चिंता है उन्हें भगवान नहीं मिलनेवाले .धान-भगवान की तुलना ही भ्रम परिचायक है .
Vikram Negi हाँ सर्वाँग की बात से मैँ भी सहमत हूँ ऐसे न्यूट्रल रहना ठीक बात नहीँ कुछ अपना ओपिनियन भी पोस्ट किया करो कभी कभी न्यूजपेपर मेँ पब्लिष्ड विचार भी ठीक हैँ और खुद भी इन्वाल्व रहा करो !
Thursday at 6:57pm · LikeUnlike.Jaideep Saklani Uttarakhandke bhagwan ko kya ho gaya Swamiji? kya dev bhoomi ke log itne papi hain?KYON tabhai macha rakhi hai bagwan ne?
Thursday at 7:01pm · LikeUnlike.Sarwang Joshi @vikram- do u hv any openion on my 1st question?
Thursday at 7:39pm · LikeUnlike.Girija Pathak ये घमासान देखकर एक शेर मुझे भी याद आ गया....बहुत साल गए ज़हूर दा से सुना था.
"ग़र ख़ुदा है कही तो उसे ज़मी पे ही रहना होगा.
क्यों आसमा को सर पे उठाये हुए है लोग ..."
Thursday at 7:52pm · LikeUnlike · 1 personLoading....Vikram Negi @सर्वाँग
जमीन से भगवान को उखाड़ना ज्यादा व्यवहारिक है समय बदल रहा है विज्ञान भगवान को उखाड़ने मेँ लगा हुआ है हाँ हवा मेँ धान उगाने के संदर्भ मेँ कोई अनुप्रयोग नहीँ हो रहे हैँ आज देश व दुनियाँ मेँ भगवान को न मानने वालोँ की संख्या बढ़ रही है और... अगर विज्ञान निरंतर लगा रहा तो भगवान तो उखड़ ही जायेँगे
@SUNITA कविता का आशय जो मैँ समझ पाया हूँ वह यह है कि जिन्होँने खेती की भूमि पर कब्जा किया है ऐसे ज़मीँदार भगवान बन बैठे हैँ इसलिए भूमिहीन मजदूर किसान कह रहा है कि या तो ये भगवान खुद उखड़ेँगे मतलब भूमि सुधार लागू होगा या फिर हम आसमान मेँ धान बोयेँगे मतलब एक समानान्तर लड़ाई हम भी लड़ेँगे ! what do u think?See More
Thursday at 7:55pm · LikeUnlike · 2 peopleLoading....Dev Pathak waw swami ji kya baat hai
Thursday at 8:16pm · LikeUnlike.Ish Mishra @swamiji chidambaranand, sare swami fraud aur prasite hote hain jo bhagwan ke nam part logon ko bhat se vanchit rahte hain, swamion ne is mulk ki aisi ki taisi kar rakha hai. ( matribhasha ke shbdon ke prayog se bachne ke liye aisi ki taisi shabd ka prayog kiya hai, baki aap khud samajhdarhain)
Thursday at 9:42pm · LikeUnlike.Deepak Tiruwa sarthak post ... sadhuwad
Thursday at 9:54pm · LikeUnlike.Manohar Chamoli भगवान-भगवान लगा रखा है. पाखंडी,मन-मस्तिस्क से कमजोर और डरे हुई लोगों के लिए होगा वो, जो भी होगा. वेसे मेरे मकान मालिक का नाम भी भगवान वर्मा है. हाँ. वो तो अच्छे आदमी हैं. मगर तुम्हारे भगवान से अब तक मेरी मुलाकात नही हुई.उसकी वकालत करने वालों.कुछ करके जाना इस दुनिया से,नही तो तुम्हारा "पुरसाने हाल" पूछने-जानने वाला न मिलेगा.
Thursday at 9:58pm · LikeUnlike · 1 personLoading....Ish Mishra bhagwan ki avdharna manushya ne manushya ke cshoshan ko jayaj banane ke liye banai
Thursday at 10:00pm · LikeUnlike.Ishwer Dutt आप सबने हिद्रोपोनिक्स सुना होगा , इस तकनीक द्वारा पानी में बिना मिट्टी के पौधा उगा दिया जाता है , लेकिन, अब एक और तकनीक लगभग विकसित हो चुकि है जिसे नाम दिया गया है ऐरोपोनिक्स , इस तकनीक द्वारा पौधा हवा में विकसित होगा बिना पानी व मिट्टी के और इस तकनीक की खोज करने वाले हमारे एक गढ़वाली भाई हैं जो स्पेस स्टेशन में सब्जियाँ उगाने के सपने को लगभग अंजाम दे चुके हैं । तो अब धन हवा में भी उगेगा ।
Thursday at 10:02pm · LikeUnlike.Ishwer Dutt क्षमा करें , धान अब हवा में उगेगा ।
Thursday at 10:03pm · LikeUnlike.Ish Mishra main aap se bilkul sahmat hun.
Thursday at 10:05pm · LikeUnlike.Ishwer Dutt आप सबने हिद्रोपोनिक्स सुना होगा , इस तकनीक द्वारा पानी में बिना मिट्टी के पौधा उगा दिया जाता है , लेकिन, अब एक और तकनीक लगभग विकसित हो चुकि है जिसे नाम दिया गया है ऐरोपोनिक्स , इस तकनीक द्वारा पौधा हवा में विकसित होगा बिना पानी व मिट्टी के और इस तकनीक की खोज करने वाले हमारे एक गढ़वाली भाई हैं जो स्पेस स्टेशन में सब्जियाँ उगाने के सपने को लगभग अंजाम दे चुके हैं। तो धान अब हवा में उगेगा । इरादा हो तो सब संभव है ।
Thursday at 10:31pm · LikeUnlike.Manoj Aswal आप इन्सान हो , चाहो तो हवा मेँ धान उगा लो या धरती से भगवान को उखाड़ दो , चेतना का स्तर तय करता है क्रान्ति या समर्पण । नियति को मंजूर है सब , तू हाँ तो कर ।
Thursday at 11:23pm · LikeUnlike.Ish Mishra kaun kahata hai aakash men surakh nahi ho sakta,
ek patthar to tabiyat se uchhalo yaron. -- dushyant kumar
Yesterday at 6:13am · LikeUnlike.Vishnu Rajgadia Bahut khoob
22 hours ago · LikeUnlike.Akbar Rizvi विशालजी आपने जो बात कही है, उसके बाद दिल तो नहीं करता कि आपसे संवाद करूं। लेकिन हमारी विचारधारा ऐसी नहीं है। आप के लिए भगवान और अल्लाह में भेद होगा। मेरे लिए दोनों बराबर है और स्थिति ये कि कोउ नृप हो हमे का हानि। फिर भी आपको बता दूं कि जब में हिन्दी में बोलता हूं तो भगवान कहता हूं, संस्कृत में यही ईश्वर बन जाता है। अरबी में अल्लाह तो फारसी में खुदा होता है। अंग्रेजी में गॉड कहते हैं और भी कई भाषाएं हैं और ईश्वर के कई नाम भी। दुख तो ये है कि कविता का भाव छोड़कर यहां कुछ बेमतलब की टिप्पणियां ज्यादा हैं। लिहाजा मैं शर्मिंदा हूं।
21 hours ago · LikeUnlike.Swami Chidambaranand हरि ॐ जयदीपजी !
जब कुछ गलत होने लगता है तो बड़ी ज़ल्दी भगवान को दोष देने लगते हैं हम ,सालों-साल से सब अच्छा है तो भगवान कि कृपा नहीं कुछ खराब हो जाये तो भगवान को क्या हो गया है ?
14 hours ago · LikeUnlike.Swami Chidambaranand विक्रमजी ,आप कौन सी दुनियां में रह रहे हो ?अमरीका ने हजारों वैज्ञानिकों से पूछा था भगवान के बारे में आपलोगों का क्या कहना है ?आप आश्चर्य करेंगे ९९%वैज्ञानिकों ने उसकी सत्ता के बारे में स्वीकृति दी थी और ये बात लगभग सभी समाचार पत्रों में छपी... थी .आप कौन से वैज्ञानिक को जानते हो जो अपनी सफलता पर ऊपरवाले का शुक्रिया ना करता हो ?पता नहीं आप कहाँ रहते हैं पूरी दुनियां में भगवान को माननेवालों की भीड़ बढ रही है आप कह रहे हो कि संख्या कम हो रही है .मुंबई में परसों ही गणपति विसर्जन हुआ है ज़रा टेलिविज़न और समाचार पत्रों में भीड़ को देखिये तो शायद आपका भ्रम दूर हो जाये .See More
14 hours ago · LikeUnlike.Swami Chidambaranand मिश्राजी !आपने लिखा है सारे स्वामी......मैं आप से पूछता हूँ कि आप कितने स्वामियों से मिले हैं कि आपने सबको एक ही कटघरे में खड़ा कर दिया .आप वो लोग हो जो टी.वी.को सारे ज्ञान का साधन मानकर आँख बंद कर भरोसा कर लेते हो कि हाँ ऐसे ही सब होंगे ?मेरे भाई टी.वी. से भी बाहर दुनिया है कभी निकलकर देखो तो सही .कुछ लड़कों ने अपने बाप को मार डाला हो तो इसका मतलब ये तो नहीं सब लड़के ऐसे ही होते हैं .ये महान भारत के महात्मा ही थे जिनके आगे दुनियां नतमस्तक हुई .स्वामी विवेकानंद महात्मा ही थे जिन्होंने विदेश में जाकर सबसे पहले इस देश का नाम रोशन किया .
14 hours ago · LikeUnlike.Vikram Negi ???
14 hours ago · LikeUnlike.Ish Mishra Main bahut swamion se mila hun, ab aap se mukhatib hun, main aapse mukhatib hun ek swami mka nam bataiye jo kameena mna ho, ye sare parjivi , kamchor hain. vivekanad ne kya kiya, rajneeti ki bat karne se dar se bachta raha. vivekanabd ne va...han ja kar vahi kaha jo uske angrej swami kahte the. Gandhi was not a swami. vigyan ke vidyarthi sabse adhik avaigyanik hote hain, ve vigyan ko ek skill ke taur par dhjaran karte hain, dhongi hote hain sabhi swami, sabhi ka matlab sabhi. main sare bhawanon aur unke dalalon koo chunauti deta hun mera jo bigadna ho bidgad ke dikha den. jo khud bhram me fanse hain vo kisi ko kya dishadarshan denge. sare swami fraud hain, aap ,samet. bahas karni ho to kar lo. tumne abtak kya kam kiye hain batao? jinko apne asttitva ka auchitya nahin milta vo swami ho jate hain aur dusaron ko bevakuf banate hain, lekin kath ki handi kitne din chalegi? apne andar jhanko mere sawalon ka jawab khud mil jayega ki tum fraud ho ki nahinSee More
9 hours ago · LikeUnlike.Ish Mishra let me tell u again all the self claimed agents, swamis and babas all are frauds, i challenge them for open debate. they have been fooling the countriy for ages. it must bstop now, all the swamis need to be exposed including you.
9 hours ago · LikeUnlike.Ish Mishra Bhagwan bhi aajkal apne bhaktyon ke chakkar me fraud ho gaya hai, main usko bhi challengre karta hun mera jo bigad sakta hai bigad le.
9 hours ago · LikeUnlike · 1 personLoading....Swami Chidambaranand मिश्राजी !आप तो बुरा मान गए ,जो मैंने पूछा उसका ज़वाब आपने दिया नहीं आपने तो चेलेंज किया है ----मैं फिर आप से कहता हूँ कि पहले आप संतों से मिलिए ,संत किसे कहते हैं इसे समझिये .यूं तो रावण भी संत का वेष बनाकर सीता हरण के लिए गया था तो क्या उ...से आदर्श मानकर संतों को कटघरे में खड़ा करेंगे ...हो सकता है जिन्हें आप संत समझने की भूल कर के अपना निर्णय सुना रहे हों वे रावण के ही अनुयायी हों ,कुछ भी हो कोई भी समझदार व्यक्ति इस बात से सहमत नहीं हो सकता कि सब एक जैसे हैं .आपने मुझे भी उसमे शामिल किया है आपकी यही बात आपको कमजोर बनाती है आप हमसे मिले तक नहीं और आपने मेरे बारे में भी अपनी धारणा बना ली कि मैं भी वैसा ही हूँ ,हो सकता कि मैं अच्छा होऊं ,हो सकता है कि मैं आपकी सोच से भी ज्यादा बुरा होऊं .जहां तक बहस की बात है तो वो बिना मिले तो होगी नहीं मैं तो कह ही रहा हूँ कि पहले मिलिए .See More
7 hours ago · LikeUnlike.Vikram Negi भगवान तो कभी थे ही नहीँ तो उखड़ने और जमने का सवाल ही नहीँ उठता और जो भगवान हैँ कहते हैँ उन लोगोँ के मन भगवान जमा हुआ है और वो भी धीरे धीरे उखड़ जायेगा इसलिए स्वामी जी आडम्बरोँ को छोड़ो और केवल एक ही चीज स्वीकार करो
"मन ही देवता है और मन ही राक...्षस"!See More
7 hours ago · LikeUnlike.Swami Chidambaranand मिश्राजी !आप जैसी भाषा का प्रयोग करते हैं हमने वो सीखी नहीं है इसका मुझे अफ़सोस नहीं है .यदि आपको स्वामी विवेकानंद में भी दोष दिखाई देता है तब तो बहुत मुश्किल है .आपकी बुद्धि पर तरस आता है कि घोर नास्तिक विचारधारा वाले कम्युनिष्ट भी विवेकानंद का विरोध नहीं कर पाते .आप कहते है कि विवेकानंद ने क्या किया कभी रामकृष्ण मिशन गए हैं भारत का शायद ही कोई हिस्सा हो जहा उन्होंने हॉस्पिटल की व्यवस्था ना की हो .३२ वर्ष की उम्र में उन्होंने वो किया जो आप १०० जन्म लेकर भी नहीं कर सकते .
7 hours ago · LikeUnlike.Swami Chidambaranand हमारे शाश्त्रों में भगवान के बारे में ऐसा कई बार आता है कि जैसी जिसकी भावना होती है वो उसे वैसा ही दिखता है अब एक नयी बात भी जोड़नी चाहिए जो फ्राड हैं शायद उन्हें भगवान भी वैसा ही दिखता है .
7 hours ago · LikeUnlike.Swami Chidambaranand बात ये है कि ये काठ की हांडी होती तो कब की जल गयी होती ,विज्ञानं भी ये मानता है कि दुनिया का सबसे पुराना ग्रन्थ ऋग्वेद है तो भाई तब से लेकर अब तक तो जली नहीं ,लोगों ने खूब आग लगायी फिर भी नहीं जली ,आप भी सपना देख लो पर हज़ार मुश्किलें आने के बाद भी सच्चाई ऐसी ही रहने वाली है .आपको अपना चश्मा उतारने की ज़रुरत है तब हक़ीकत नज़र आयेगी भाई .
7 hours ago · LikeUnlike.Ish Mishra bachpan se ab tak jitne swamion se mila hun vo ya to farud nikle ya agyani. aapne vivekanand ko padha hai? maine padha hai. ve logon ki bat karte the lekin logon se darte the, samajvad ki bat karte the lekin use paribhashit kiye bagair. tho...s samsyaon ko aadhyatmikta ke makadjal men uljha dete the jaisa ki sabhi "swami" karte hain. vivekanad bahu hi prakhar budhi ke vyakti the lekin unki vudhi ki prakharta adhyatmikta ke chakkar men barbad ho gayi. kitne asptal aur school unke nam se chalte hain ye alag bat hai. kabhi miliye to vivekanand par bahas ho sakti hai. aap bataiye thos roop se unhone adhyatmik tark-kutark ke alawa kya thos kam kiya hai? rajnaitik sawalon se bhagte the usme khatra tha aupniveshik shahko dvra daman ka. vo khatra bhagat singh ne uthaya.
jahan tak rigveda ka sawal hai, to sabse purana granth hai ki nahi lekin bahut purana hai, aur tab tal hamare ardh-khanabadosh chrwahe poorvajon ko likhn e ka gyan nahi tha, isi liye ise shruti gyan kaha jata hai, maukhik parampara se pidhi-dar pidhi age badhta raha.aapne padha hai? maine hindi anuvad padha hai aur usme us samay ki jeevan ki avashyakton aur ach ch he somras ki kamnayen ki gayi hain. brahma-vishnu -mahesh ya anya kisi devi-devta ka koi zikrs nsahi hai. dharma ki utpatti bhay se hoti hai. hamare rigvaidic poorvajon ke devta prakritik shaktian thi: ARUN_VARUN- INDRA - agni. inshan apni jarrorton ke hisab se apne dharma aur devi-devta ka avishkar karta hai. ram-krishna to kautilya ke jamane men bhi bhagwan nahi the. vah krisna aur kansha dono ko DANAVON ki shreni men rakhta hai.See More
40 minutes ago · LikeUnlike · 1 personVikram Negi likes this..Swami Chidambaranand आपने लिखा कि आप बहुत से संतों से मिले हैं पर मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्वतः के अनुसार हजारों मनुष्यों में कोई एक संत होने के निकल पाता है ,उन हजारों में कोई एक हो पाता है जो हुए हैं उन हजारों में कोई एक तत्त्ववेत्ता होता है इस स्तिथि में आप बहुत से संतों से कहाँ से मिल लिए .संतों के विषय में अपने ज्ञान को ज्ञान को ठीक कीजिये बाद में बहस कीजिये .
15 minutes ago · LikeUnlike.Ish Mishra jahan tak ram aur ravan ka sawal hai to ye ek mahakavya ke patra hain itihas ke nahi. ek afriki kahavat hai: "as long as the lions dont have their own historians, history shall go on eulogiging the hunter" Valmiki aur tulsidas "hunter" ke i...tihaskar hain, lekin unki hi rachnaon ko vastinishtha bhav se padhen to payenge ki ravan ka chatra naitikta ke mapdanda par ram ke chasritra se bahut shreshtha hai. lekin iske liye andhabhakti ka chashma utar kar chijon ko tarkon aur tathyon ke adahar par samjhna padega. ram ka bap ek aiyash kishm ka raja tha, budhape men jawan ladki se shadi karne ke liye usase bhavishya men uski kisi bhi mang ko pura arne ka vada kar deta hai aur usi ke tahat raj-kaj ke antarsangharshon aur mahlon ki antahkalah ke chalte vah ram ko 14 sal ke vanvas ke liye bhej deta hai.
ravan ek gyani (jise ram khud swekar karte hain jab laxman ko mrityushaiya par pade ravan ke pas gyan seekhne bhejte hain) purush aur shaktishali evam kushal shashak tha, log khushal aur sampanna the tabhi to uski lanka sone ki llanka thi. Ram ek aisi parampara ka pratinidhi tha jahan purush MAL ki tarah aurat ko jeet kar hasil karte the apne bhoga-vilas ke liye. bataiye dhanush todne aur machhali ki aankh bhedne aur stri-purush sanmbandhon me kya rishta? ravan ek aisi paramppara ka pratinidhi tha jisme aurat bhi 'propose' kar sakti thi. ravan ki bahan jab ram ko proppose karti hai to use yah kahne ki bajay ki ve use paqsand nahin karte dono bhai football ki tarah ek doosaree ke bich shunt karte rahe aur uski nak kan kat liye. jahan tak sawal is bat ka hai ki use malum tha ki dono shadishuda hain to rAM KE KHANDAN MEN BAHUT SI BIBIAN RAKHNA ANJANI BAT NAHI THI. uske bap ki hi 3 bibian thin usi ke chakkar men vo jangal men bhatak raha tha. ravan ne apni maya gyan ka ishtemal karke uski bibi ka apharan kar liya. jara sochiye aapki bahan ko koi kuchh kah bhi de to aap par kya beetegi? usne lejakr sita ko FIVE STAR guest house men rakha koi jor-jabardasti nahi ki. ram ravan se ladne ke sena jutane ke chakkar me kayaron ki tarah chhip kar bali ko mar dala jisne uska kuchh nahin bigada tha. Gaddar hamesha hote hain, vibhishan nam ke gaddar ki madad se ravan ko marne ke bad sita se kahta hai ye ladai usne sita ke liye nahin balki khandan ki nak ke liye lda hai. use tabhi sath le jayega jab vo agni pareeksha degi? ram khud jangal men kya kya mangal karta raha kaun janta hai use agni pareelksha ki jaroorat nahi thi aur ant men kisi bahane garbhvati halat men use lat markar nikal deta hai. tmam varnashrami bakvas karte rhate hain karm ke adhar par samjik varga vibhajan ki, sambuk namak sudra tapsya kar raha tha ki varnashrami brahmand hil gaya aur raja ram apne sevakon-laxma, hanuman... ko bhejne ki bajaye khud use marne nikal pade.
jo tulsidas aur valmiki ne likha hai uske adhar par bhi ravan ka charitra varnashramvadi, vistarvadi aur narivirodhi ram ke charitra se bahut shreshtha hai. aisa samjhne ke liye dharmandhata ka chashma utarna padehga, lekin tab swamigiri nahi chalegi!
Ish Mishra kaise pata chale kaun sant hai, hardwar ke sabhi swaqmi balk swmion ka shoshan/bhog karte hain, vo lakhon men ek swami kahaqn milega, usmen samay nasht karne ki bajaye bhautik duniya ko behtar banay jaye tab swamion-sanyasion ke spiritual fraud ki jaroorat nahi rahehgi. jay swami chinmayanand. fraud/parasite swmaion ka vinash ho.
2 minutes ago · LikeUnlike.Ish Mishra swami ji kuchh sikhna chahte hon to bahas jarti rakha jaye aur aghar kup-manduk bane rahna chahte hain to bahas yahin khatm. bye bye swamiji jaiye dharmbhiru logon ki aastha par rotian senkiye, bahas sirf tarqon tathyon par honi chahiye laffaji se nahin. bye.
Friday, September 24, 2010
Sunday, September 12, 2010
socialism 1
Arun Prakash ji, the present phase of the latest stage of capitalism -- the finace capital is, hopefully, the last stage of capitalism ( Let us hope so and work towards ending it). I am quite optimistic and hopeful that the as the inadvertent consequence of capitalist development in the field of communication, a new and advanced form of a new Internationalism -- the socialist internationalism is on its way to destroy the ideological basis of capitalism.
@Com Raufparas, the ruling class ideas are the ruling ideas also. The imperialist capital owns the ideological apparatuses and captive intellectuals. Moreover ppl relying on the Soviet Union, that has been on the capitalist path for quite some time in its hegemonic rivalary with capitalist imperialism, as the harbinger of wporld revolution developed defeatist attitude and many of them became ex-Marxists. randhir Singh has ellaborated the reasons of Soviet Union's disintegration in his voluminous book - The Cris of Socialism. It was a setback to the march to socialism, but a temporary setback, that happens. New ideas are emerging and we should continuously counter capitalist propaganda with in or means. The bubble of triumphant declarations of World of the end of history burst wiuthin a decade. Capitalism has become moribund, is in ICU on artificial oxygen, if we work incessantly it would certainly end, may be if not in our life time, in the life time of our grand children, lets continuously bombard the bastille
@Com Raufparas, the ruling class ideas are the ruling ideas also. The imperialist capital owns the ideological apparatuses and captive intellectuals. Moreover ppl relying on the Soviet Union, that has been on the capitalist path for quite some time in its hegemonic rivalary with capitalist imperialism, as the harbinger of wporld revolution developed defeatist attitude and many of them became ex-Marxists. randhir Singh has ellaborated the reasons of Soviet Union's disintegration in his voluminous book - The Cris of Socialism. It was a setback to the march to socialism, but a temporary setback, that happens. New ideas are emerging and we should continuously counter capitalist propaganda with in or means. The bubble of triumphant declarations of World of the end of history burst wiuthin a decade. Capitalism has become moribund, is in ICU on artificial oxygen, if we work incessantly it would certainly end, may be if not in our life time, in the life time of our grand children, lets continuously bombard the bastille
marxism
eversince those "10 days" that "shook the world" the oplogetic-intellectuals of capitalism have been theorising the "totalitarianism" in Marxism (Karl Popper & Co.) and in 1960s they declared the "end of the ideology" (Daniel Bell). What en...ded was the Race as an ideology created/devised in defence of the slavery by the intellectiual ancestors of the Bell. With the disintegration of Soviet Union that by that time had become hegemonic rival of the capitalist imperialism, the social imperialism, the succesors of Daniel Bell declared the "end of History" (Fukuyama). History never ends, nor repeats itself, it only echoes, what ends is the outdated historical epoch implying the iminent end of capitalism as an historical epoch. and till no other advanced theoretical alternative is advanced, the only next epochal alternative is that of socialism, as worked out by Karl marx and F Engels in the 19th Century, when capitalism was moving towards its last stage, i.e. by Marxism that will remain ideologically relevant even after the demise capitalism.
Friday, September 10, 2010
Che ko lal salam
Ruling classes afraid of the ideas kill the individuals makiing their ideas more effective but nevertheless depriving the movement of great leadrship. Fascists under Musslini afraid of ideas wanted to stop Gramsci's brain functiong by put...ting him behibd the bars, they could not the brain functioning but they shortened his life by depriving him of basic medines and that proved to nemisis of fascism, CIA killed Che and Che's ideas spread globally beyond the twin continents of Americans. It has been ongoing process followed by expansion of revolutionary ideas and conciousness. Indira Gandhi killed Charu Mazumdar afraid of the ideas of revolution, but the legacies of Naxalbari upsurge have engulfed the entire nation and as Marx and Engels wrote in the Communist Manifesto the spectre of communism was haunting bthe Europe, today the spectre of Naxalism is haunting all the ruling class parties and leaders playing the subservient role to the imperialist. Chidambaram got Azad, the spokesperson and one of the ideologues of CPI(Maoist), Maoism's intellectual and popular support base has expanded. Therre is a poem by revolutionary panjabi poet, Pash; "MAIN TO GHAS HUN FIR UG AAUNGA TUMHARE SAB KIYE-DHARE PAR". ( I am grass will reappear, whatever you do) Com. Pash ko lal Salam; Com Che ko Lal Salam
Monday, September 6, 2010
On God --krishna
Religion, according to Einstein to begin with , is a product of fear. All the societies createw their own , idioms , phrases, rituals and Gods and godesses according to their historical needs. That is why the nature, number, functions and conceptions of Gods and Godesses have been historically changing. In pre-modern days, the function of God was to help the poor and distressed, in modern times, with the advent of Social Darwinism, the function of the God has changed. Now God helps those who help themselves -- the rich and dominant classes. Believers are so insecure and illogical that their sentiments are like wax, get hurt on anything critical of gods and prophets.
Trimurti -- Brahma-Vishnu-Mahesh -- or the plethora of 33 crores gods/godesees find no place in the Rig-vedic scheme of religion. Arun(the sun), Varun (the wind), Indra, Agni -- the natural forces beypond the cpomprehension of our ancient ancestors, were regarded as gods -- the supernatural powers. With passage of time few more natural forces and the Soma (the marijuana -- bhang plant) got the status of Gods. According to the changing charecter of ruling classes and perpetuation of brhmanical order of varnashrama system, that attained climax during the early centuries of the christian era culminating into the lawbook -- Manusmriti, the number of dieties went on increasing.
Kautilya, synonymously known by the name of Chanakya (or the Vishnugupta), the Prime Minister of the first Mauryan king Chandragupta, in his Arthashatra -- a masterpiece on the political theory; statecraft; political economy; diplomacy and warfares -- while advising the Vijigishu (the would be conquerer king) to worship Gods and demons before setting off on a war campaign brackets, interstingly together Krishna alongwith Kansa in the category of demons ( RP Kangle, The Kautiliya Arthashastra, Vol. II[English translation by Kangle]). Maeghanstenese, the conrtemporary greek trveller, writes about Krishna as a locan legendary hero of the Sursen region. This implies the krishmna was not part of the galaxy of the dieties till atleast Mauryan times. Krishna began to be transformed into a diety with the interpolation of Bhagawatgita section in the original Mahabharata and gained momentum with Bhakti movement ' initially in Bengal with the Chaitanya Mahaprabhu.
Therefore it is my request to Bansal ji and his fanatic critics to kindly demystify the charecters of epics and Puranas/mythologies to get the contents of the social history. And objections to freedom of expression is a dangerous ooman for the forward nmarch of democracy. criticism should have respect for differences as society consists of not many but many kinds of men and women.
Trimurti -- Brahma-Vishnu-Mahesh -- or the plethora of 33 crores gods/godesees find no place in the Rig-vedic scheme of religion. Arun(the sun), Varun (the wind), Indra, Agni -- the natural forces beypond the cpomprehension of our ancient ancestors, were regarded as gods -- the supernatural powers. With passage of time few more natural forces and the Soma (the marijuana -- bhang plant) got the status of Gods. According to the changing charecter of ruling classes and perpetuation of brhmanical order of varnashrama system, that attained climax during the early centuries of the christian era culminating into the lawbook -- Manusmriti, the number of dieties went on increasing.
Kautilya, synonymously known by the name of Chanakya (or the Vishnugupta), the Prime Minister of the first Mauryan king Chandragupta, in his Arthashatra -- a masterpiece on the political theory; statecraft; political economy; diplomacy and warfares -- while advising the Vijigishu (the would be conquerer king) to worship Gods and demons before setting off on a war campaign brackets, interstingly together Krishna alongwith Kansa in the category of demons ( RP Kangle, The Kautiliya Arthashastra, Vol. II[English translation by Kangle]). Maeghanstenese, the conrtemporary greek trveller, writes about Krishna as a locan legendary hero of the Sursen region. This implies the krishmna was not part of the galaxy of the dieties till atleast Mauryan times. Krishna began to be transformed into a diety with the interpolation of Bhagawatgita section in the original Mahabharata and gained momentum with Bhakti movement ' initially in Bengal with the Chaitanya Mahaprabhu.
Therefore it is my request to Bansal ji and his fanatic critics to kindly demystify the charecters of epics and Puranas/mythologies to get the contents of the social history. And objections to freedom of expression is a dangerous ooman for the forward nmarch of democracy. criticism should have respect for differences as society consists of not many but many kinds of men and women.
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