सही कह रहे हैं,तेलंगाना में आत्म समर्पण के लिए राजी माओवादियों को बेरहमी से मार डाला जाना असंवैधानिक है। उन पर भारतीय दंडसंहिता के प्रावधानो के तहत मुकदमा चलाना चाहिए। आदिवासियों और कॉरपोरेट के मामले में भाजपा और कांग्रेस के नजरिए में कोई फर्क नहीं है। जहां माओवादियों के खात्में की खबर छपती है, वहीं बगल में उससे बड़ी खबर आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन का टेंडर किसी बड़े धनपशु (कॉरपोरेट) के नाम खुलने की खबर होती है। धर्मांध सांप्रदायिकता इनका छिपा एजेंडा नहीं है, वह तो खुला एजेंडा है, उसके पीछे का छिपा एजेंडा देश के संसाधन देशी-विदेशी धनपशुओं के हवाले करके आम जनता को भाग्य के हवाले करने का है।
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