@ Ratna Srivaytva राजीव गांधी की सज्जनता तो नाना की विरासत थी, राजनैतिक रूप से अपढ़ थे। संजय गांधी ब्रिगेड के गधे उनके राजनैतिक सलाहकार थे। सिख जनसांहार के बाद सहानुभूतिक वोट से उनकी अपार बहुमत से जीत ने, छवि सुधारने के लिए गांधीवादी समाजवाद का पाखंड करते भाजपाइयों को लगा कि वे आरयसयस के गठन के बाद से ही सांप्रदायिक जहर फैलाने के बावजूद हाशिए पर रह गये और 2000 सिखों के नरसंहार से यह इतना बड़ा नेता बन गया। तब आरयसयस ने आक्रामक सांप्रदायिकता का रुख अपनाया और रामायण के ब्राह्मणवादिी राम के नाम पर राम मंदिर अभियान चलाया, इस मूर्ख ने कांग्रेसी संघियों की सलाह पर मस्जिद के दरवाजे खुलवा कर विश्व बैंक के दलाल ने संधियों को मुद्दा दे दिया। मेरठ, मलियाना, हाशिमपुरा के आयोजन से तत्कालीन गृहमंत्री, विश्वबैंक के दलाल कमीने चिदंबरम् ने आरयसयस को आक्रामक सांप्रदायिक लामबंदी का मुद्दा दे दिया। वह अपना इसी जहालत मे मारा गया।
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