अंतिम बात (सवाल) से शुरु करता हूं. अपने जनपक्षीय चरित्र तथा लक्ष्य के चलते वामपंथ कभी फासीवादी नहीं होता. फासीवाद धुरदक्षिणपंथ की तार्किक परिणति है. कार्ल प़़ॉपर जैसे धुर कम्युनिस्ट विरोधी भी कम्युनिस्ट राज्य को फासिस्ट नहीं बोल सके, अधिनायकवाद पर रुक गये. सही है कि अंततः संघी फासीवाद के सहायक बने, भारत के कई समाजवादियों की तरह मुसोलिनी ने भी अपने राजनीति की शुरुआत समाजवादी पार्टी के सदस्य के रूप में की. लेकिन प्रथम विश्वयुद्ध की युद्धोंमादी राष्ट्रभक्ति की सामाजिक चेतना ने मुसोलिनी तथा उसकी फासिस्ट पार्टी को सत्ता के सैन्यकरण तथा नागरिक जीवन में दखलदाजी का अवसर प्रदान किया. उसके निशाने पर सर्वोपरि वामपंथी थे. फासीवादी अदालत ने मुसोलिनी के दिमाग को 20 साल न काम करने देने का फैसला दिया था. दिमाग तो नहीं बंद कर सके जेल नोटबुक ने मार्क्सवाद में नया अध्याय जोड़ दिया, दिमाग को तो वे नहीं कैद कर पाये, जेल में शारीरिक प्रताड़ना से जीवन जरूर कम हो गया. जिनका फलूदा निकल चुका है, तुम्हारे अनसार, उनके बारे में इतना कहूंगा की हार जीत परिस्थितिजन्य है, महत्वपूर्ण है संघर्ष की गुणवत्ता. सुकरात पर मुकदमा चलाने वाले का नाम कम ही लोग जानते हैं. वर्गविहीन समाज की कल्पना उच्च मध्यवर्ग के वर्ग हित में था, यह मैं नहीं जानता था. जहां तक मेरी जानकारी है एंगेल्स के विरोधी भी अारोप लगाते थे कि वह मजदूरों के साथ ही रहते-सोते थे. जहां तक चार्टिस्ट आंदोलन की मेरी सीमित जानकारी है, यह व्यापक आंदोलन कामगरों की इंसानी अस्मिता को लेकर था, जिसका मुख्य बिंदु मताधिकार था. कम्युनिस्ट लीग के सहयोग से, 1838 में, आंदोलन को मदद करने के मकसद से लंदन असोसिएसन ऑफ वर्किंगमेन का गठन हुआ था, जिसने 1851 में कम्युनिस्टों तथा अराजकतावादियों द्वारा गठित इंटरनेसनल असोसिएसन ऑफ वर्किंगमेंन ( फर्स्ट इंटरनेसनल) की बुनियाद का काम किया. 1848 में आंदोलन शिथिल पड़ा दमन से, कम्युनिस्टों के असहयोग से नहीं. मार्क्स ने लिखा है कि लोगों के मुद्दों से अलग किसी कम्युनिस्ट का कोई मुद्दा नहीं होता. कोई भी आंदोलन बेकार नहीं जाता. 1867 में शहरी निम्नवर्गों तथा 1918 में सभी पुरुषों व 1929 में सार्वभौमिक अधिकार की मंजूरी में इन आंदोलनों का भी योगदान है. स्वहित-सार्वजनिक हित की बात मैंने व्यापक अर्थ में किया है. वैज्ञानिक-भौतिकवादी समझ इतिहास को समग्रता में आत्मसात करने की अंतरदृष्टि प्रदान करती है इसलिये जनपक्षीय, भौतिकवादी सार्वजनिक हित में ही स्वहित खोजता है. वह जानता है कि सार्वजनिक हित में ही स्वहित सर्वाधिक सुरक्षित है.
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