RADICAL
Sunday, March 17, 2013
मयनोशी
छोड़ चुका था मयनोशी/
ज़िंदगी से कोई
शिकायत न थी/
बरसा के चंद कतरे मय के/
तुमने दिल की प्यास बढ़ा दी,
[ईमि/१७.०३.२०१३]
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