मिथ्याचेतना के चलते तथाकथित अंबेडकरवादी मार्क्सवाद का विरोध करते हैं तथा जय भीम-लाल सलाम नारे से परहेज करते हैं। जातिवाद (ब्राह्मणवाद) और जवाबी जातिवाद (नवब्रह्मणवाद) दोनों ही सामाजिक चेतना के जनवादीकरण (वर्ग चेतना के प्रसार) के रास्ते के बड़े गतिरोधक हैं। जाति और धर्म की मिथ्या चेतना (जातिवाद और सांप्रदायिकता) से मोहभंग सामाजिक चेतना के जनवादीकरण की जरूरी शर्त है। जातिवाद के विनाश के बिना क्रांति नहीं और क्रांति के बिना जाति का विनाश नहीं।
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