बंटे हुए को कौन बांट सकता है? हिंदू कौन है? बाभन कि दलित? चितपावन कि मराठा? आर्य और आर्येतर प्रजातियां ऐतिहासिक तथ्य हैं तथा अनार्य आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन की लूट अभी तक जारी है। पौराणिक सुर-असुर संग्राम आर्य-अनार्य संघर्ष का ही मिथकीकरण है। इतिहास की चर्चा करने का मतलब उसे पलटना नहीं है। आज इंका-अजटेक सभ्यताओं के विनाश की यूरोपीय बर्बरता पर टनों साहित्य लिखा जा चुका है। अनादिकाल से लोग एक जगह से दूसरी जगह तमाम कारणों से आते-जाते-बसते रहे हैं। अतीत के पुनर्निर्माण का शगूफा भविष्य के विरुद्ध साजिश है। अतीत नहीं सुधारा जा सकता उसके इतिहास से सबक सेकर भविष्य का निर्माण किया जा सकता है।
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