धरती (देश नहीं) और नदी को पालनहार के अर्थ में मां कहने का रिवाज सभी पारंपरिक समाजों, खासकर जनजातियों में, पुराना है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में देश को माता-पिता कहने का कोई जिक्र नहीं है। यूरोप में आधुनिक राष्टोंमाद की नीयत से फादरलैंड (पितृभूमि) कहा जाता था सावरकर ने उन्ही नकल पर पितृभूमि की अवधारणा दी। भारत माता की अवधारणा भी औपनिवेशिक शासकों की नकल है। विक्टोरिया के शासन काल में रानी की चमचागीरी में उन्हीं की छवि में मदर ब्रिटानिका की अवधारणा गढ़ी गयी। भारत माता की जय तो बहुत बोल चुके हैं। आप अभी क्यों बुलवाना चाहते हैं? किस बात की परीक्षा लेना चाहते हैं? परीक्षा की मेरी अवस्था नहीं है। मैं तो नास्तिक हूं किसी देवी-देवता की जय नहीं बोलता। वैसे भारत माता कौन है?
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