RADICAL
Friday, September 21, 2018
लूट
लूट हो गयी है अपरंपार
जनता लगती है लाचार
दबा हुआ है जनअसंतोष का अंबार
लग रहे हैं जुबां पर ताले लगातार
अब तो इस असंतोष को आक्रोश बनना चाहिए
चिंगारी को हवा देकर दावानल में बदलना चाहिए
(ईमि: 22.09.2018)
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