भगवान और खुदा अलग अलग हैं या एक? चतुर चालाक लोगों ने खुदा-भगवान की अवधारणा गढ़ा और उनसे भी चालाक लोगों ने उसे धर्म बना दिया और नबी और अवतार गढ़े। धर्म हमेशा से शासकवर्गों के हाथों में लोगों पर वर्चस्व बनाने का फरेब रहा है। अगर कोई एक खुदा है तो उसके बंदे आपस में इतना खून-खराबा और जहालत क्यों फैलाते हैं? लोगों के अज्ञान और भय का फायदा उठाकर सारे फरेबी स्वामी-बाबा-मुल्ला बनकर लोगों का भयदोहन करते हैं और खुद ऐयाशी। सारे धर्म अधोगामी होते हैं क्योंकि वे कुतार्किक आस्था की वेदी पर विवेक की बलि चढ़ते है। विवेक मनुष्य की प्रजाति-विशिष्ट प्रवृत्ति है जिसे मुल्तवी कर मनुष्य दोपाया मवेशी बन जाता है, जिसे धर्मों के गड़रिए जिधर चाहे हांक सकते हैं।
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