हमारी औकात होती तो 70 के दशक के मुक्ति का दशक होने के नारे सिर्फ लिखते नहीं, मुक्ति प्राप्त कर लेते, लेकिन जनमत इंदिरा गांधी के साथ था। यहां के कम्युनिस्टों ने अपने चुनावी जनाधार को संख्याबल से जनबल में बदलने की कभी कोशिस नहीं की और पार्टी लाइन से हांकते रहे। पार्टी लाइन एक मार्क्सवाद विरोधी अवधारणा है। इसीलिए प्राथमिकता राजनैतिक शिक्षा यानि जनांदोलनों के माध्यम से सामाजिक चेतना का जनवादीकरण है।
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