ऐतिहासिक रूप से विदेशी ताकतों से पराजय का कारण हिंदू समुदाय में कट्टरता की कमी नहीं है. हिंदू धर्म ब्राह्मणवाद की खोल है और जिस भी समाज में शस्त्र और शास्त्र का अधिकार मुट्ठी भर लोगों के हाथ में सीमित हो, उस समाज को नादिर शाह जैसे चरवाहे भी रौंद सकते हैं, जो समाज अपने एक बड़े हिस्से को अछूत माने उस समाज का विघटन अवश्यंभावी है.
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