उस जमात में पैदा होने में आपका योगदान है क्या? शर्म या गर्व अपनी उपलब्धि पर होनी चाहिए, जीववैज्ञानिक दुर्घना के परिणाम पर नहीं. मैं तो कहां पैदा हो गया न उसमें मेरा योगदान है न अपराध, इसलिए शर्म या गर्व अपने किए पर करता हूं. गलतियां हो जाती हैं तो शर्म आती है. जिसके पास अपनी कोई उपलब्धि नहीं होती वह अपने पैदा होने की जीववैज्ञानिक दुर्घना पर ही गर्व करता/करती है.
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