सासाराम से परसों सुबह ही आ गया लेकिन अपने समाज में व्याप्त क्रूरता और दिल दहला देने वाली संवेदनहीनता से गहरे अवसाद के चलते अब यह लिखने बैठ पाया. कब तक बनी रहेगी जाति और जातीय उत्पीड़न बदले चोंगो में? 29 जनवरी को रोहतास जिले के कोचस ब्लॉक के नव्वा गांव में कुर्मी जमींदारों ने दो पिछड़े वर्ग (नोनिया और लोहार) के मजदूरों को बकाया मजदूरी मांगने पर नंगा करके 6 घंटे बेरहम पिटाई की. लोहे की गर्म सरिया से उनके अंग-प्रत्यंग को दागा. सुरेश चौहान (नोनिया) अभी भी बनारस के एक अस्पताल में जिंदगी मौत के बीच झूल रहा है. गर्म लोहे की पिटाई के बाद उसके गुप्तांग में गर्म लोहे की छड़ डाल दी. 100 से अधिक लोग तमाशा देख रहे थे. विजय शर्मा (लोहार) कोचस से निजी अस्पताल में इलाज के बाद घर वापस आ गया है. वह न तो खड़ा हो सकता है न बैठ सकता है. उसका बांया हाथ और दाहिना पैर टूट गया है. 17 फरवरी तक गुनहगारों की न तो गिरफ्तारी हुई न ही पीड़ितों को कोई मदद मिली है. कुर्मी नीतिश की पार्टी का समर्थन आधार है इसलिए सरकार मौन है. विजय की हथेली को गर्म सूजे से छेद दिया गया था. सुरेश के घर वाले गांव-गांव घूमकर उसके इलाज़ के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. ताज्जुब तो इस बात पर है कि सीपीआई-सीपीयम या लिबरेसन ने भी कोई वक्तव्य नहीं दिया. 22 फरवरी को किसान-मजदूर सभा ने कोचस में प्रदर्शन का आह्वान किया है. भूपति ओबीसी का भूमिहीन ओबीसी पर अत्याचार. यह वर्गीय अत्याचार है. अस्मिता की राजनीति वालों आंखें खोलो.
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