RADICAL
Wednesday, February 4, 2015
जाम छ्लकता रहा
जाम छ्लकता रहा
मन मचलता रहा
हम पीते रहे
साथ जीते रहे
रात ढलती रही
प्यास बढ़ती रही
साथ चलते रहे
अागे बढ़ते रहे
(ईमिः04.02.2015)
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