RADICAL
Saturday, June 21, 2014
बेकरारी-ए-इंक़िलाब है इन झुकी झुकी नजरों में
बेकरारी-ए-इंक़िलाब है इन झुकी झुकी नजरों में
ख़्वाब-ए-इंसाफ है रास्ते टोहती इन नज़रो में
(ईमिः21.06.2014)
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