RADICAL
Wednesday, May 28, 2014
वक़्त के सर होने तक
लगते रहेंगे वज़ूद पर ज़ख़्म
वक़्त के सर होने तक
रिसते रहेगे ज़ख़्म
ज़ंग-ए-आज़ादी का असर होने तक
(ईमिः29.05.2014)
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment