बिलकुल इंसान होता है. मेरी पत्नी हर रोज एक घंटा पूजा करती हैं, नवरात्र में कुछ ज्यादा ही. उनकी मान-मनुतियों के लिए उनके साथ हमारी इष्ट देवी के दर्श्नार्ट भी जाता हूँ. मेरे लिए पर्यटन हो जाता है. नास्तिक धर्म और भगवान की गतिविज्ञान के बारे में एक तथ्यपरक समझ रखता है और धर्म को नहीं, उन हालात को ख़त्म करना चाहता है जो धर्म की आवश्यकता पैदा करते हैं. धर्म प्रसन्नता का भ्रम प्रदान करता है, लोगों को वास्तविक प्रसन्नता प्राप्त हो तो भ्रम की आवश्यकता ही नहीं रहेगी और अपने आप ख़त्म हो जाएगा. धार्मिकता से परेशानी नहें है, धार्मिक उन्माद से साम्प्रदायिक नफ़रत से है.
लगे रहिये :)
ReplyDeleteha ha
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