RADICAL
Saturday, November 23, 2013
शब्द चयन
रहता हूं अक्सर सजग शब्दों के चुनाव में
होता नहीं मूल्य- निरपेक्ष कोई भी शब्द
देने को शाबाशी किसी लड़की को
आदतन निकलने को होता जैसे ही वाह बेटा
टोकता हूं आदत को समझ इसका मर्दवादी मर्म
और कहता हूँ वाह बेटी.
[ईमि/23.11.2013]
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