RADICAL
Friday, October 25, 2013
राग-ए-बहार
बोलने का मन नहीं आपका जो आज
क्या करेगा उत्सुक यह श्रोता समाज?
कीजिए मन की थोड़ी मन से मनुहार
छेड़िए फिर एक नया राग-ए-बहार
हो जाए टूटकर जड़ता तार-तार
और श्रोता सुख-चैन से सरोबार
[ईमि/25.10.2013]
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