RADICAL
Monday, June 10, 2013
दिल धडकना तो ज़िंदगी की फितरत है
दिल धडकना तो ज़िंदगी की फितरत है
यादों की कसक कितनी भी सिसकती रहें
रुकता नहीं कारवाने-जूनून
हमराही कितने भी बदलते रहें
[ईमि/११.०६.२०१३]
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment