RADICAL
Sunday, December 2, 2012
जुदाई के गम का शकून
तुम्हारी जुदाई के गम में कितना शुकून था
तन्हाई की मस्ती न कोई नियम-क़ानून था
आज़ाद था मन निर्बंध विचरण का जूनून था
बाकी वक़्त दिल में तुम्हारी यादों का मजमून था
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