RADICAL
Thursday, November 1, 2012
नारा-ए-नज़्म
नारा-ए-नज़्म
ईश मिश्र
लोग कहते हैं मेरी गजलें नारा क्यों होती हैं
मैं कहता हूँ हर गज़ल नारा क्यों नहीं होती
और हर नारा क्यों नहीं होता कोई नज्म?
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