tag:blogger.com,1999:blog-185599073362670995.post7469801487353799659..comments2024-03-24T00:32:31.673-07:00Comments on RADICAL: इतिहास का पुनर्मिथकीकरण 2 (रामायण)Ish Mishrahttp://www.blogger.com/profile/01274434455887802548noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-185599073362670995.post-34151952234988455392022-09-08T16:12:55.554-07:002022-09-08T16:12:55.554-07:00नेपाल से मित्र विष्णु अधिकारी ने धनुष तोड़ने में र...नेपाल से मित्र विष्णु अधिकारी ने धनुष तोड़ने में राम के पुरुषार्थ का मंतव्य पूछा, उस पर:<br /><br />रामायण एक महाकाव्य है, कुछ भी निरुद्देश्य नहीं लिखा जाता। महाकाव्य या उपन्यास/कहानी का उद्देश्य होता है समाज में कुछ खास मूल्यों को स्थापित और सुदृढ़ करना होता है। रामायण के लेखक का उद्देश्य पितृसत्तात्मक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण होता है जिसे वह कहानी और उसके प्रमुख पात्रों के माध्यम से करता है। रामायण का नायक पितृसत्तामक समाज में पुरुषोचित मूल्यों का प्रतिनिधि है और नायिका स्त्रियोचित। इस प्रकरण का उद्देश्य राम को महाबली और सीता को पुरुषार्थ के पराक्रम द्वारा उस मूल्यवान वस्तु को हासिल करना होता है। रावण भी राम से बदला लेने के लिए उसकी सबसे मूल्यावान वस्तु चुरा लेता है जिसे राम अपने पराक्रम से वापस ले आते हैं।। Ish Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01274434455887802548noreply@blogger.com