RADICAL
Sunday, May 24, 2015
दस्तक
जब भी चाहो आ सकते हो ज़िंदगी में
जब चाहो जा सकते हो ज़िंदगी से
अपन को तो बस दरकार है
आने की एक हल्की दस्तक की
और जाने की अलविदा की एक मुसकराहट
हल्की सी.
(ईमिः24.05.2015)
2 comments:
सुशील कुमार जोशी
May 24, 2015 at 9:47 AM
मोदी से कहा है ना ये तुमने ?
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Ish Mishra
May 24, 2015 at 6:59 PM
हा हा उसकेलिये कोई जगह नहीं है
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मोदी से कहा है ना ये तुमने ?
ReplyDeleteहा हा उसकेलिये कोई जगह नहीं है
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