RADICAL
Tuesday, January 7, 2014
तुम पर कुछ पंक्तियां
तुम पर कुछ पंक्तियां क्या,
लिख चुका हूं नग़में तमाम
लिखूं शायद और भी गज़लें
कि बन जाये पूरा दीवान
[ईमि/07.01.214]
1 comment:
सुशील कुमार जोशी
January 7, 2014 at 5:44 AM
और हो जाऊँ दीवाना खुद भी :)
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और हो जाऊँ दीवाना खुद भी :)
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