Wednesday, January 4, 2012

परिवर्तन

परिवर्तन
प्रकृति की रीत है परिवर्तन
ज़िंदगी का गीत है परिवर्तन
पुरातन पर नवीन की जीत है परिवर्तन
इतिहास का स्थाई भाव है परिवर्तन
कभी धीमे-धीमे कभी हौले-हौले
आगे ही बढ़ता है परिवर्तन
है कौन सा वह काल अज्ञात
दुःख-दैन्य न थे जब ज्ञात?
होता नहीं बैक गीअर
इतिहास की गाड़ी में
मिलेगा नहीं स्वर्ण-युग
अतीत की पिटारी में
घुसते नहीं आप उसी नदी में दो बार
देखते-देखते बदल जाती है बारम्बार
अकेला स्थायी तत्व है परिवर्तन
सदियों से मानव-श्रम का सार है परिवर्तन
ब्रह्माण्ड का अंतिम सत्य है परिवर्तन.

1 comment:

  1. जी हाँ परिवर्तन शाश्वत सत्यहै। सत्यकथन है यह कविता।

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