Monday, May 2, 2016

जेयनयू के छात्रों के समर्थन में प्रेस विज्ञप्ति

जनहस्तक्षेप
फासीवादी मंसूबों के खिलाफ अभियान

प्रेस विज्ञप्ति

02 मई, 2016

जनहस्तक्षेप उन छात्रों के स्वास्थ्य और खैरियत के प्रति जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) प्रशासन की उदासीनता की कड़े शब्दों में निंदा करता है जो विश्वविद्यालय के अधिकारियों के कठोर मनमाने बर्ताव के कारण इस कहर बरपाती गरमी में अनिश्चितकालीन अनशन करने पर मजबूर हैं।

जेएनयू के छात्र अफजल गुरू की फांसी के विरोध में कार्यक्रम आयोजित कर विश्वविद्यालय की आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में कई छात्रों को सजा दिए जाने के खिलाफ सात दिनों से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। अनशन पर बैठे छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि छात्रों को दी गई सजा को पूरी तरह वापस लिया जाए।

दिल्ली विश्वविद्यालय के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर एनके भट्टाचार्य के नेतृत्व में जनहस्तक्षेप के एक प्रतिनिधिमंडल ने जेएनयू का दौरा कर भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। प्रतिनिधिमंडल में जानेमाने समाजविज्ञानी और भारत सरकार के पूर्व सचिव केबी सक्सेना, सुपरिचित शिक्षाशास्त्री और राजनीतिक कार्यकर्ता प्रो0 मनोरंजन मोहंती, हिंदू कालेज के प्रोफेसर ईश मिश्र तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के कई वरिष्ठ चिकित्सक शामिल थे।

जेएनयू प्रशासन ने 09 फरवरी 2016 के उपरोक्त कार्यक्रम के बारे में जांच करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था। विश्वविद्यालय  प्रशासन ने इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर चार छात्रों को निष्कासित कर दिया और बाकियों के खिलाफ भारी जुर्माना लगाया है। इन छात्रों पर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने कार्यक्रम के लिए समुचित इजाजत नहीं ली और इसमें राष्ट्रविरोधी नारे लगाए।

दिलचस्प बात यह है कि कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार आपत्तिजनक नारे जेएनयू के छात्रों ने नहीं बल्कि बाहरी लोगों के एक समूह ने लगाए थे। कुलपति जगदीश कुमार के नेतृत्व में जेएनयू प्रशासन ने अनिर्बाण भट्टाचार्य नामक छात्र के विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। उसे यह सजा देते हुए इस सचाई पर भी गौर नहीं किया गया कि जेएनयू परिसर के बाहर उसकी जान को खतरा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अध्यापकों को धमकी दी है कि अगर उनमें से किसी ने इन छात्रों को पनाह दी तो उसे भी नहीं बख्शा जाएगा।

अनिर्बाण और उमर खालिद कोमुजफ्फरनगर बाकी हैके प्रदर्शन का आयोजन करने पर नोटिस दिए जाने से विश्वविद्यालय प्रशासन की दुर्भावना स्पष्ट हो जाती है। वास्तव में मुजफ्फरनगर दंगों पर बने इस वृत्तचित्र का प्रदर्शन नौ महीने पहले किया गया था।

जनहस्त़क्षेप जेएनयू की घटनाओं को उच्च शिक्षण संस्थानों में कामकाज की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट करने की केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार की साजिश का हिस्सा मानता है। सरकार चाहती है कि ये संस्थान शासक वर्ग की जनविरोधी नीतियों के प्रतिकार का स्रोत नहीं बनें। मौजूदा सरकार को नियंत्रित करने वाला संघ परिवार उच्च शिक्षा के भगवाकरण में जुटा हुआ है ताकि उसका प्रतिक्रियावादी राजनीतिक एजेंडा पूरा हो सके।

श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही जाहिर हो गया था कि सरकार जेएनयू को अपना हमले का निशाना बना रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्रोंपांचजन्यऔरआर्गनाइजरने खास तौर से इस हमले का बीड़ा उठाया। जेएनयू के आरएसएस समर्थक कुछ शिक्षकों ने 2015 में एक दस्तावेज तैयार किया जिसमें आरोप लगाया गया था कि यह विश्वविद्यालय संगठित यौन अपराधों और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का अड्डा बन चुका है।

जनहस्तक्षेप सभी सामान्य जन और बुद्धिजीवी तबकों से अपील करता है कि वे लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की खातिर भूख हड़ताल पर बैठे जेएनयू के छात्रों के समर्थन में एकजुट होकर खड़े हों। वह जेएनयू प्रशासन से छात्रों की मांगों पर उनके साथ बातचीत तुरंत शुरू करने की मांग करता है।

0/ईश मिश्रा

संयोजक, जनहस्तक्षेप

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