Monday, June 29, 2015

यह औरत

कल्पना  नहीं हकीकत है यह औरत
भावी इतिहास की नसीहत है यह औरत
छुई-मुई नहीं वाचाल है यह औरत
आज्ञाकारी नहीं दावेदार है यह औरत
जी हां, ख़ौफनाक है यह औरत
मर्दवाद के पैरोकारों के लिए
परंपरा के रखवालों के लिए
सरमाए के किलेदारों के लिए
हो रहा है मुखर उसका कलम 
बढ़ रहा है आगे उसका कदम 
खाई है मानव-मुक्ति की कसम
रुकेगी नहीं जब तक है दम
(एक अजन्मी कविता का प्राक्कथन)
(ईमिः 30.06.2015)

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