Thursday, October 23, 2014

सभ्यता करती है संचार दोगलेपन का

सभ्यता करती है संचार दोगलेपन का
छिपाता है इंसान मर्म अपने मन का
करता कोशिस  होने से अलग दिखने का
और स्वरुप से सार को  ढकने का
सबसे साफ़ दिखता दोगलापन उन रिश्तों में
गिनते जो खुद को फरिश्तों में
एक ही छत के नीचे रहते बच्चे और माँ-बाप
करते  नहीं एक-दूजे से कभी भी मन के बात
करते प्रेमी युगल अंतरंगता की बात
लगाते एक दूजे की निजता पर घात
डालने को एक दूजे पर व्यक्तित्व का असर
होने से अलग दिखने में छोड़ते नहीं कोई कसर
ऐसे लोग खुद को सभी में ढूंढते हैं
सफ़ेद दाढ़ी  को मेकअप समझते हैं
होते है ये लोग वहम-ओ-गुमाँ के शिकार
ख़त्म नहीं करते अन्तर्विरोधों का विकार
शायर को है खुदी से इतना अधिक प्यार
होने से अलग दिखने का आता नहीं विचार
मार्क्सवादी की कथनी-करनी में होता नहीं फर्क
करता है वह वही कहता जो उसका तर्क
(इमि/२३.१०.२०१४)

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